Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf अभागी का स्वर्ग लेखक : शरद चंद्र चट्टोपाध्याय प्रकार: लघु कथा प्रकाशित वर्ष: 2002 शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला साहित्य के उपन्यास सम्राट के नाम से भी जाने जाते हैं इनकी कई सारी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है इनकी कई सारी लघुकथा है हैं जिन का अनुवाद हिंदी भाषा में किया गया है उन्हीं में से एक अभागी का स्वर्ग भी है।


Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf अभागी का स्वर्ग – हिंदी PDF | Abhagi Ka Swarg In Hindi By Sharatchandr Chatopadhyay PDF Free Download

अभागी का स्वर्ग मुख्यतः 4 छोटे-छोटे खंडों में विभाजित है। इसमें मुख्य पात्र अभागी नाम की एक महिला है। जिसका एक 15 वर्ष का पुत्र कंगाली है ।तथा गांव के एक समृद्ध ब्राह्मण ठाकुरदास मुखर्जी तथा एक जमीदार इत्यादि हैं।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf
Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf

भाग 1

कहानी की शुरुआत में एक ठाकुरदास मुखर्जी नाम का समृद्ध ब्राम्हण परिवार है। जिसके चार पुत्रियां 4 पुत्र नाती पोते दामाद पर पड़ोसी कई सारे नौकर चाकर है। ठाकुरदास मुखर्जी की वृद्ध पत्नी लगभग 7 दिनों के ज्वार के बाद आज उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। उसके यहां आज मातम पसरा है। उसके पुत्र पुत्रियों इत्यादि का बुरा हाल है ।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf

मगर चाहे जो भी हो मृत शरीर को आखिर कितनी देर तक रखा जा सकता है।चाहे वह हमारा कितना भी अपना हो। अतः उसके पुत्रियों ने तथा बहुओं ने अश्रुपूरित मन से उस वृद्धा के पैरों में महावर लगाएं ।उसका भली-भांति श्रृंगार किया एक नव युवती के समान जैसे कि कोई नई नवेली दुल्हन।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf कुछ देर बाद सर्वविदित सत्य, राम नाम सत्य के उद्घोष के साथ पूरा परिवार उस मृत शरीर के साथ शमशान की ओर चल पड़ा।

रास्ते में एक औरत कंगाली की मां अपने आंचल में बैंगन बात कर हॉट जा रही होती है। तभी वह श्मशान की तरफ जा रहे लोगों से मुखातिब होती है उन्हें देखते ही दूर से ही उनके पीछे हो जाती है धीरे-धीरे को सब कुछ भूल कर श्मशान पहुंच जाती है। उसकी हिम्मत नहीं होती कि वह उनके पास जा सके तो वह दूर से ही एक टीले पर खड़ी होकर श्मशान के दृश्य को निहारती है।

वह देखती है कि किस प्रकार उस ब्राह्मण व्रत था का श्रृंगार किया गया है किस तरह से उसका दाह संस्कार किया जा रहा है तभी वह देखती हैं कि उसका पुत्र अपनी मां के मृत शरीर को मुखाग्नि दे रहा है। वह इस दृश्य को देखकर भगवान से प्रार्थना करती हैं कि वह भी उसे यह सुख प्रदान करें। वह इस दृश्य को निहारते हुए उसमें खो जाती है।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf तभी उसका 15 वर्षीय पुत्र उसके पास आता है और कहता है की मां तुम यहां क्या कर रही हो तुम आज भात नहीं रुधोगीं क्या? वह कहता है कि उसे भूख लगी है तब उसकी मां उससे मृत शरीर के अंतिम संस्कार को दिखाते हुए कहती हैं कि देखो वह मृत ब्राम्हण वृद्धा किस तरह रथ पर सवार होकर स्वर्ग को जा रही है। तब उसका पुत्र उससे कहता है कि उसे कोई रथ नहीं दिखाई दे रहा है।

वह औरत बार-बार उसे दिखाने की चेष्टा करती है अंत में उसका पुत्र उससे खींचकर घर की तरफ ले जाता है।

भाग 2

इसमें अभागी जोकि कंगाली की मां, के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है। अभागी के जन्म के समय ही उसकी मां की मृत्यु हो जाती है। तब उसके पिता ने उसका नाम अभागी रखा उसके पिता मछली पकड़ने का काम करते थे। धीरे धीरे समय बीतने के साथ अभागी का विवाह रसिकबाघ से करवा दिया गया।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf कुछ समय बाद उसे 1 पुत्र की प्राप्ति हुई कुछ समय बाद उसके पति ने अभागी और उसके पुत्र दोनों को छोड़कर बगल के गांव में चला गया तथा कभी भी वापस नहीं आया।

अब वर्तमान में उसकी मां कंगाली से बार-बार उस ब्राह्मण वृद्धा के दाह संस्कार के बारे में बात करती रहती है तभी उसका बेटा करता है कि क्या तुम भी मुर्दा जलना चाहती हो? क्योंकि उसके पुत्र ने उसके शरीर को छुआ था जिससे उसे पता चल गया था कि उसकी मां को बुखार हुआ है और फिर भी वह श्मशान के पास गई और फिर नदी में स्नान भी किया।

तब उसकी मां कहती है ,

छी: बच्चे, मुर्दा जलना नहीं कहते हैं पाप होता है ।”

फिर कुछ देर बाद कंगाली कहता है कि एक औरत कह रही थी कि उसकी मां इस गांव में सबसे शरीफ औरत है।

तब कंगाली अपनी मां से कहता है,

” तब तो तू भी स्वर्ग जाएगी ना मां?”

इसके बाद उसकी मां ने एक राजपूत्र कोतवाल के पुत्र और पक्षीराज घोड़े की बात सुनकर एक कहानी आरंभ कर देती है।

जयशंकर प्रसाद Pdf Download

भाग 3

अब अभागी करीब 70 वर्ष की हो जाती है और बीमार रहती हैं ।कविराज बगल वाले गांव में रहते हैं और कंगाली उनके पास जाता है तथा अपना लोटा नीलाम करके और काफी अनुभमय विनय करके उनसे दवा लाता है। कंगाली की मां दवाइयां नहीं खाती हैं जिससे उनकी तबीयत काफी खराब हो जाती है।एक दिन वह अपने बेटे से कहती हैं कि वह जाए और अपने पिता को बुला लाए और साथ ही में कहती हैं कि वह आते समय नाइन भाभी से आलता भी लाए।

भाग 4

कंगाली अपने पिता और आलता लेकर अपने घर पहुंचता है। और अपने मां के पास पहुंच कर रोते हुए करता है,

अरि मां! पिता आए हैं।पांव की धूली लोगी ना।”

तब उसे पता चलता है कि उसकी मां अब उनके बीच नहीं रही। आस पड़ोस में यह बात फैल जाती हैं। तभी उसका पिता घर के आंगन में ही लगे बेल के पेड़ को काटने के लिए जाता है। तभी जमीदार के दरबार का आगमन होता है वह आते ही कंगाली के पिता पर को एक थप्पड़ मार देता है क्योंकि वह बेल का पेड़ काट रहा था।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf इसके बाद कंगाली भी पहुंचता है दरबान ने उसे भी मार दिया। तब कंगाली रोते हुए जमीदार के घर पहुंचता है तथा द्वार पर ही रोक लिया जाता है। बाद में उससे उसकी जाति पूछी जाती है तथा  दूले जाति बताने पर उसका तिरस्कार किया जाता है तथा उसे भगा दिया जाता है।

अब ठाकुरदास मुखर्जी के यहां श्राद्ध को एक दिन ही बचा रहता है कंगाली रोते हुए उनके यहां जाता है तथा उनसे कहता है कि मैं उससे कुछ लकड़ी दे दे जिससे वह अपनी मां को ब्राह्मणों की तरह मुखाग्नि दे सके वहां भी उसे तिरस्कार करके भगा दिया जाता है। तथा उसे कहा जाता है कि वह अपनी मां के शरीर को नदी में बहा दें।

Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf हर जगह से अपमानित होकर कंगाली अपने घर आता है तब वह सब नदी किनारे एक गड्ढा खोलते हैं तथा उसी में पुआल से अपने मां के मृत शरीर को कंगाली मुखाग्नि देता है तथा वहीं पर मृत शरीर को दफना देता है।

Download Book

6 thoughts on “Abhagi Ka Swarg By Sharatchandr Chatopadhyay Hindi pdf”

  1. Howdy, i read your blog occasionally and i own a similar one and i was just wondering if you get a lot of spam comments?
    If so how do you stop it, any plugin or anything you can suggest?

    I get so much lately it’s driving me insane so any support is very much appreciated.

  2. I’m pretty pleased to discover this website. I wanted to thank you for ones time for
    this wonderful read!! I definitely appreciated every bit of it and i also have you book marked to check out new stuff on your site.

  3. The other day, while I was at work, my sister stole my iPad and tested to
    see if it can survive a forty foot drop, just so she can be a youtube sensation. My apple ipad is now
    broken and she has 83 views. I know this is completely off topic but I had to
    share it with someone!

  4. I was curious if you ever considered changing the structure of your site?
    Its very well written; I love what youve got to say.
    But maybe you could a little more in the way of content so people could
    connect with it better. Youve got an awful lot of text for only having one or 2 images.
    Maybe you could space it out better?

  5. You’re so interesting! I don’t believe I have read through a single thing like that before.

    So great to find someone with a few unique thoughts on this issue.
    Really.. thanks for starting this up. This website is something that’s needed on the internet, someone with a bit of originality!

Comments are closed.