Money Of Psychology धन-संपत्ति का मनोविज्ञान
मैं आप को एक समस्या के बा रे में बताना चाहता हूँ । जिसे जा नकर आप अपने पैसों के सा थ क्या करते हैं इस बा रे में बेहतर महसूस करेंगे, और दूसरे अपने पैसों के सा थ क्या करते हैं इस बा रे में कम आलोचनात्मक…………
कुछ लोग पैसों के साथ मूर्खता पूर्ण हरकतें करते ज़रूर हैं, लेकिन कोई भी मूर्ख नहीं है। बात दर असल में यह है| अलग अलग तरह की पीढि़यों के लोग, जिनका पालन पोषण करने वाले माता पिता की आय अलग है, जीवन मूल्य अलग हैं, जो विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग अर्थव्यवस्था में जन्मे, जिन्हों ने अलग अलग जॉब मार्केट में विविध प्रकार के प्रोत्सा हन और भाग्य का अनुभव किया , वे एक दूसरे से बहुत अलग पाठ सीखते हैं। दुनिया कैसे चलती है, है इस बारे में हर किसी का अपना ही अनुभव होता है। और जो आपने अनुभव किया है, वह कहीं अधिक प्रभावशाली है उसके मुक़ाबले जो आप किसी और से सुनते या सीखते हैं।…………..
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अर्थशा स्त्रि यों ने लि खा : “हमा री खो ज दर्शा ती है कि एक नि वेशक की जो खि म उठा ने की स्वेच्छा उसके व्यक्ति गत इति हा स पर नि र्भर करती है।”
न तो बुद्धि मत्ता , न शि क्षा , और न ही परि ष्करण। मा त्र संयो ग कि आप कब और कहाँ जन्मे।
फ़ाइनैंश्यल टा इम्स ने 2019 में प्रसि द्ध बॉ न्ड मैनेजर बि ल ग्रॉ स का सा क्षात्कार किया । “ग्रॉ स मा नते हैं कि आज वे जहाँ हैं वहाँ नहीं हो ते अगर वे एक दशक पहले या बा द जन्मे होते,” लेख का कहना था । ग्रॉस के करियर ने ढ़हती ब्याज दरों के साथ अच्छा मेल खा या जि ससे बॉ न्ड की की मतों को अनुवा त मि ल गया । इस तरह की घटना ओं से न सि र्फ़ आपको मि लने वा ले अवसर प्रभा वि त हो ते हैं; इससे जब वे अवसर आपकी ओर आते हैं तो उन अवसरों के बा रे में आपकी सो च भी प्रभा वि त हो ती है। ग्रॉ स के लि ये बॉ न्ड पैसा बना ने की मशी न के सा मा न थे। उनके पि ता की पी ढ़ी के लि ये, जो मुद्रा स्फ़ीति की ऊँची दर के समय बड़े हुए और उसे झेला , बॉ न्ड धन भस्मक प्रती त हों गे……………..
Money Of Psychology धन-दौ लत को लेकर लो गों के अनुभवों में जो अंतर है वह छो टा नहीं है, उन लो गों के बी च भी जहाँ आपको यह अनुभव एक जैसे लगें………….
1955 में न्यू यॉ र्क टा इम्स ने सेवा नि वृत्त हो ने की बढ़ती ला लसा और संतत असमर्थता के बा रे में लि खा : “एक पुरा नी कहा वत को अलग तरह से व्यक्त करें तो सेवा नि वृत्ति के बा रे में सभी बा त करते हैं, लेकि न बहुत कम ही इस बा रे में कुछ करते हैं।” 1980 तक यह धारणा सुदृढ़ नहीं हुई थी कि हर कोई सेवा निवृत्ति के यो ग्य है और हर किसी को एक गरिमा पूर्ण सेवा नि वृत्ति मि लनी चा हि ये।
और तब से लेकर उस गरि मा पूर्ण सेवा नि वृत्ति को पा ने का उपा य यही अपेक्षा रही है कि हर को ई अपनी ख़ुद की आय से बचत करके उसे नि वेश करे। मैं फि र से दो हरा ना चा हूँगा कि यह वि चा र कि तना नया है: 401(के)-अमरी की सेवा नि वृत्ति के बचत मा ध्यम का आधा र-1978 तक अस्ति त्व में नहीं आया था । रो थ आई आर ए 1978 तक नहीं जन्मा था । अगर यह एक व्यक्ति हो ता तो अब तक मुश्कि ल से मद्यपा न करने की आयु तक पहुँचा होता ।
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