पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book ka Name | हंसा जाई अकेला / Hansa Jai Akela |
write by | Markandeya |
Size | 6 .1MB |
Download Status | Available |
Language / भाषा | हिंदी / Hindi |
Pages | 114 |
Quality | Good |
हंसा जाई अकेला / Hansa Jai Akela कहानी का कुछ अंश:-‘कहानीपन’ कहने मे, कल्पना की ध्वनि ज्यादा मिलती है, यथार्थ की कम । हो सकता है इस कथन से कई लोगों की सहमति न हो सके, पर मुझे लगता है, आधुनिक युग में सभी जागरूक कथाकारों के लिए, कहानी कल्पना की बुनावट न हो कर, जीवन का एक यथार्थ श्रश बन गयी है।
उसके कथानक जीवन की मौतिकताओं की तरह ही कठोर एवं सत्य होने लगे हैं; और उसका शिल्प भी समस्त मानवीय व्यवहार की परम्पराओं का निर्वाह करने लगा है। एक तरह से देखे तो जीवन में जो होता है और अत्यत सामान्य रूप मे होता है—उसकी खोज हम कहानी में करने लगे है। पहले लेखक कल्पना से कहानी गढ़ता था पर अब कल्पना से उसमें रंग भरता है —यथार्थ को और भी चटख और प्रभावशाली बनाता है।
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