parshuram ki partiksha hindi PDF Free Download इसमें रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपने भाव कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है।इसे इन्होने भारत चीन युद्ध के बाद लिखा था।
लेखक : – रामधारी सिंह दिनकर
विधा : पद्यात्मक गेयात्मक
रामधरीसिंह दिनकर
parshuram ki partiksha hindi PDF Free Download हिंदी साहित्य के अनमोल धरोहरों में शुमार दिनकर जी आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक रहे है।इन्हे एक कुशल कवि, लेखक, निबंधकार, आलोचक, इतिहासकार के रूप में जाना जाता है।इन्होने मुख्य रूप से वीर रस से भरी हुई राष्ट्रीय कविताएं लिखी है।
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इनके कुछ विशेष संकलन निम्न है ,जो इसी के सामान पढ़ने योग्य है
काव्य
रेणुका, हुंकार , कुरुक्षेत्र , सामधेनी, रसवंती ,बापू ,रश्मिरथी, उर्वशी, सिपी और संख, द्वंद गीत, इतिहास के आंसू आदि ।
निबंध
- मिट्टी की ओर
- अर्द्धनारीश्वर
- रेती के फूल
- हमारी संस्कृति
- वेणुवन
- उजली आग
- राष्टभाषा और राष्ट्रीय एकता
- धर्म नैतिकता और विज्ञान
- आधुनिकता बोध
गद्य
- संस्कृति के चार अध्याय
- विवाह की मुसीबतें
- काव्य की भूमिका
आदि
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जैसा की नाम से स्पष्ट है की परशुराम की प्रतीक्षा ,तो ऐसा संभव है की हमारे मन में ख्याल आया होगा की बेशक इस में हिंदू मान्यतो के अनुसार वर्णित भगवान परशुराम की कहानियां इत्यादि होगी मगर इस में ऐसा कुछ भी नही है।अपितु ठीक इसके विपरित है।इस में वीर रस राष्ट्रभक्ति मानव जीवन साहस इत्यादि से जुड़ी कविताएं है ।जो आज के वर्तमान परिवेश के हिसाब से गढ़ी गई है ।
इस में कुल 18 कविताएं संकलित है। जिनमे से तीन पहले भी सामधेनी में प्रकाशित हो चुकी है।समस्त कविताएं वीर रस से भरी हुई है जो पढ़ने वाले के मन में उत्साह और राष्ट्रीयता का भाव भर देती है।
जैसे :
“उठा शस्त्र लड़ना है तुझको
न केवल बाहर के दुश्मन से।
चित्त चीर कर अहंकार को
भीतर से तुझको हरना होगा।
लेकर हाथ कुठार तुझको
मैं को काट गिराना होगा।
दीप जलाकर मन में तुझको
स्वयं को सूर्य बनाना होगा।”
अनुक्रम:
- परशुराम की प्रतीक्षा
- जवानिया
- हिम्मत की रोशनी
- लोहे के मर्द
- जनता जगी हुई है
- आज कसौटी पर गांधी की आग है
- जौहर
- आपद्धम
- पाद टिप्पणी
- शांतिवादी
- अहिंसावादी का युद्ध गीत
- इतिहास का न्याय
- एनार्की
- एक बार फिर स्वर दो 1
- एक बार फिर स्वर दो 2
- तब भी जाता हू मै
- समर शेष है
- जवानी का झंडा
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पृष्ठ भूमि
यह रचना भारत चीन युद्ध के बाद लिखी गई थी।जिसके माध्यम से दिनकर जी युवायो को प्रेरित करना चाह रहे है ।वह फिर से लोगो में एक नए जोश का संचार करने के वास्ते इन कविताओं का संकलन किया था।
पुस्तक के कुछ विशेष प्रेरित करने वाले अंश:
“समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।।”
“हो जहां कहीं भी अनय, उसे रोक रे!
जो करें पाप शशि – सूर्य, उन्हें टोको रे !”
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“उठा शस्त्र लड़ना है तुझको
न केवल बाहर के दुश्मन से।
चित्त चीर कर अहंकार को
भीतर से तुझको हरना होगा।
लेकर हाथ कुठार तुझको
मैं को काट गिराना होगा।
दीप जलाकर मन में तुझको
स्वयं को सूर्य बनाना होगा।”
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“जीवन गति है, वह नित अरूद्य चलता है,
पहला प्रमाण पावक का, वह जलता है ।
सिखला निरोध-निर्ज्वलन धर्म छलता है,
जीवन तरंग-गर्जन है, चंचलता है ।
धधको अभंग, पल-विपल अरूद्य जलो रे !
धारा रोके यदि राह, विरुद्ध चलो रे !”
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“उच्च मनुजता को ठुकराने से तो वह डरता है ।
किन्तु, उच्च गुण के कारण जो रण में हार गए हैं,
उन पराजितों की किस्मत पर रोता है इतिहास,
पर, अपाहिजों का कलंक वह क्षमा नहीं करता है । “
श्रीमद्भागवत महापुराण हिंदी pdf free Download
समीक्षा
समकालीन पर लिखी गयी बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , सबको जीवन का नया पाठ पढ़ाती, ये काव्यसंकलन निश्चित रूप से पड़ने योग्य है । इसको बिल्कुल समाज की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर अभिव्यक्त किया ही दिनकर जी ने ।
इस में सामान्य शब्दों और बोलचाल के भावों को इस तरह से पिरोया गया है की जो भी इसे पढ़ता है पढ़ने के तुरंत बाद ही उसमे एक वीर रस और राष्ट्रीयता का नया संचार होना आरंभ हो जायेगा ।
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It’s difficult to find well-informed people in this particular subject, but
you sound like you know what you’re talking about!
Thanks