विवेकानन्द साहित्य सप्तम खण्ड पुस्तक के कुछ अंश – इस सं सार में सर्वदा दाता का आ सन ग्रहण करो। सर्व सव दे दो, पर बदले में कुछ न चाहो। प्रेम दो, सहायता दो और सेवा दो, इनमें से जो तुम्हारे पा स देने के लिए है, वह सब दे डालो; किन्तु सावधान रहो, उनके ब दले में कुछ भी लेने की इच्छा कभी न करो। किसी प्र कार की कोई शर्त मत रखो। ऐसा करने से तुम्हारे लि ए भी कोई किसी तरह की शर्त नहीं रखेगा। अपनी हार्दिक दान शीलता के कारण ही हम देते चलें। ठी क उसी प्रकार जिस प्र कार ईश्वर हमें देता है…………………………….
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Vivekanand Sahitya Saptam Khand
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