पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book ka Name | समाज की पुकार / Samaj Ki Pukar |
write by | Shri Raghuvir Swaroop Bhatnagar |
Size | 4.2 MB |
Download Status | Available |
Category | Uncategorized, नाटक / Drama, साहित्य / Literature |
Language / भाषा | हिंदी / Hindi |
Pages | 176 |
Quality | Good |
समाज की पुकार / Samaj Ki Pukar पुस्तक के कुछ अंश :-उपरोक्त शीर्षक की आद मे कुछ और लिख, इसका निर्णय मै अभी तक नही कर पाया हूँ। यह नाटिका क्यो लिखी गई ? क्या इसकी आवश्यकता थी ? यदि हाँ, तो क्या उसकी न्यूनाधिक पूर्ति हुई ? यह कुछ ऐसे प्रश्न है, जिनका कोई निश्चयात्मक उत्तर नही दिया जा सकता और वह भी लेखक द्वारा !
साहित्य राष्ट्र की सम्पत्ति है। समाज की विचारधारा को अच्छे बुरे मार्ग पर ले जाना, बहुत कुछ साहित्य और साहित्य-कारो पर निर्भर है । साहित्य सेवा प्रत्येक योग्य व्यक्ति का कर्त्तव्य हो सकता है, परन्तु प्रगति विरोधी साहित्य का निर्माण अवांधनीय है, वास्तविकता इससे भिन्न है।
अच्छा और बुरा साहित्य लिखा गया है, लिखा जायगा, परन्तु यह किससे छिपा है कि बुरे के नष्ट हो जाने पर अच्छा रह जाता है, फिर भी दोनो का प्रभाव तो समाज पर पडता ही है। जन्म सिद्ध भाव-स्वातन्त्र्य के आधार पर हम किसी को लिखने से नही रोक सकते। इसी आधार पर इस नाटिका का लिखा जाना, चाहे अच्छी हो या ‘बुरी न्यायसङ्गत ठहराया जा सकता है। हाँ, मै अपने लिये कह सकता हूँ-भले ही इसे कोई भ्रम -वश • श्रात्म-प्रशंसा ही क्यो न समझ ले कि यदि मैने इस नाटिका को • प्रगति-विरोधी अथवा सर्वथा अर्थहीन समझा होता,
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