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हम धन्य हैं कि हमारा जन्म भारत जैसी पावन भूमि पर हुआ। ऋषि मुनियों का यह देश अतीत से लेकर वर्तमान तक गीता, पुराण, महाभारत, वेद जैसे महान ग्रंथों की प्रासंगिकता तो को अब भी सार्थक करता है।
ये केवल ग्रंथ ही नहीं मूल्यपरक ग्रंथ हैं जो कि हमें हमारी संस्कृति से तो रूबरू करवाते ही हैं और साथ ही साथ हमें एक जीवन जीने की सही राह भी दिखाते हैं। तमाम हिंदू ग्रंथों में अगर हमें सबसे ज्यादा नाम सुनने को मिलता हैं तो वो हैं गीता। सभी हिंदू ग्रंथों में भागवत गीता को प्रथम माना गया हैं। इस पवित्र ग्रंथ की रचना श्री वेदव्यास जी ने की थी।
गीता में कल 18 अध्याय हैं और 700 से अधिक श्लोकों का इसमें संकलन हैं। गीता का प्रचलन आज घर घर में फैलता जा रहा है। गीता में लिखे पवित्र श्लोक और मूल्यपरक शिक्षा हरेक व्यक्ती का सर्वांगीण विकास करती है।
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गीता में श्री कृष्ण जी द्वारा महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिए गए उपदेश का वर्णन है। महाभारत का युद्ध पांडवों और कौरवो के बीच हुआ था। इस युद्ध में पांडवों के परिजन कौरव सेना में शामिल थे इसलिए अर्जुन युद्ध लड़ना नहीं चाहते थे वो खुद की हार मानने को तैयार थे लेकिन श्री कृष्ण जी जो कि अर्जुन के सारथी थे वो अर्जुन को उपदेश देते हैं हैं अपना कर्म फल की इच्छा से नहीं करना चाहिए। ये तो जग जाहिर हैं ही कि हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत होती है इसलिए हे अर्जुन उठो! और गांडीव उठाओ और युद्ध करो।
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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । मा कर्मफलहेतुर्भू: मा ते सङ्गोस्त्वकर्मणि ।।
गीता का ये श्लोक काफी पलोकप्रिय हुआ था।
भावत गीता bhagavad gita in hindi pdfमें श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं कि जीवों में आत्मा तो अजर अमर है वो शरीर के समाप्त होने के बाद भी समाप्त नहीं होती। इसे न तो जलाया जा सकता और ना ही इसको भिगोया जा सकता। जिस प्रकार एक व्यक्ती अपने कपड़े उतार के नए कपड़े पहनता हैं इसी प्रकार आत्मा भी नया शरीर धारण करती है और ये ही प्रक्रिया संसार का चक्र चलता रहता है।
अर्जुन जब युद्ध से विमुख होने लगते है तो कृष्ण जी उन्हें आत्मा के स्वरूप को समझाते है तथा अपना विराट दर्शन देते हैं और कहते है कि भले ही मारने और मरने वाला ये सोचते हो कि वह मर गया या मैंने मार दिया। लेकिन वे यह नहीं जानते है कि आत्मा कभी नहीं मरती हैं। इसलिए हे पार्थ (अर्जुन) यदि धर्म युद्ध का त्याग करोगे तो बुराई की जीत होगी और अच्छाई हार जाएगी।
एक व्यक्ति को जिंदगी कैसे जीनी चाहिए, उसका व्यवहार कैसा होना चाहिए ये सब हमें गीता सिखाती हैं। सादा जीवन उच्च विचार के साथ मनुष्य को जीना चाहिए। व्यक्ति को अपने भीतर समाई अहंकार की भावना को खत्म कर देना चाहिए।
गीता में श्री कृष्ण जी भगवान कहते है कि लोग बाग मुझे किसी भी रूप में माने मैं हमेशा उनके साथ हूँ। कोई शैव, वैष्णव, कोई राम तो कोई शिव के रूप में मुझे मानता है।
गीता के पवित्र उपदेश किसी भाषा, क्षेत्र, जाति या मजहब के लिए न होकर सभी के लिए हैं। बस व्यक्ती को उन्हें समझने का फेर है। गीता के पवित्र उपदेशों को अगर हम अपने जीवन में अपना ले तो हम जीवन को संवार सकते हैं। हम केवल गीता के कुछ ही उपदेशों को भी जीवन में उतार लेंगे तो हमारे जीवन की राह ही बदल जाएगी।
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अब गीता का विस्तार केवल हमारे देश भारत तक ही सीमित नहीं रहा है अपितु इसका विस्तार दुनिया के बहुत से देशों में हो रहा हैं। इसका अगर श्रय जाता हैं तो स्वामी प्रभुपाद जी को जाता है जिन्होंने गीता का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद करा और उसके उपदेशों को अलग अलग देशों में फेलाया। आज पूरी दुनिया में गीता एक बहुत ही लोकप्रिय ग्रंथ हैं। आज गीता की महिमा और उसके पवित्र संदेशों को दुनिया मान रही है और उसके उपदेशों पर चलने का प्रायस कर रही हैं।
गीता में लिखे एक एक श्लोक से हमारे जीवन में बहुत सी बाधाओं का हल है। गीता के बारे में कहा जाता है कि अगर एक मूर्ख से भी मूर्ख इंसान यदि गीता के उपदेशों को अपने जीवन में उतार ले तो वो इंसान आत्मज्ञानी बन जाता है।
आज गीता पूरी दुनिया में लगभग सभी भाषाओं में लिखी हुई है और सभी मजहब के चाहे वो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या कोई अन्य धर्म का हो पढ़ सकता है। गीता किसी विशिष्ट धर्म को ध्यान में रखकर नहीं लिखी हुई हैं बल्कि इसके उपदेश तो सभी के लिए मूल्यवान है।
आइए आज से ही दोस्तों हम गीता पढ़ने की शुरुआत करें और उसके उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें ताकि हम भी अपने जीवन का उद्धार कर सकें।
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We are blessed that we were born in a holy land like India. From the past to the present, this country of sages makes the relevance of great texts like the Gita, Purana, Mahabharata, and Vedas meaningful even now. These are not only texts but also valuable texts which not only make us aware of our culture and at the same time show us the right way to live a life. If we get to hear the most names in all the Hindu texts, then it is the Gita. Bhagwat Gita is considered the first among all Hindu texts. This holy book was composed by Shri Ved Vyas Ji.
There are 18 chapters in the Gita and a compilation of more than 700 verses. Today the prevalence of Gita is spreading from house to house. The sacred verses and value-based teachings written in the Gita develop the all-around development of every person.
The Gita describes the teachings given by Shri Krishna to Arjuna in the war of Mahabharata. The war of Mahabharata took place between Pandavas and Kauravas. In this war, the family members of the Pandavas were involved in the Kaurava army, so Arjuna did not want to fight the war, he was ready to accept his own defeat, but Shri Krishna Ji, who was Arjuna’s charioteer, preaches to Arjuna, not with the desire for the fruits of his actions. should do. It is clear to the world that good always triumphs over evil, so get up, O Arjuna! And pick up the Gandiva and fight.
Karmanyevadhikaraste Ma Fleshu Kadachan. Ma karmafalheturbhu: Ma te sangostvakarmani.
This verse of the Gita became very popular.
In the Bhagat Gita, Shri Krishna Ji tells Arjuna that the soul is immortal in living beings, it does not end even after the body is finished. It can neither be burnt nor can it be soaked. Just as a person takes off his clothes and puts on new clothes, similarly the soul also takes on a new body and this process continues in the cycle of the world.
When Arjuna starts turning away from the war, Krishna ji explains to him the nature of the soul and gives his great vision and says that even if the one who kills and dies thinks that he is dead or I have killed him. But they do not know that souls never die. Therefore, O Partha (Arjuna), if you renounce the war of religion, then evil will win and good will be defeated.
Gita teaches us how a person should live life, and how he should behave. The man should live a simple life with high thoughts. One should eliminate the feeling of ego which is present within oneself.
In the Gita, Shri Krishna Ji God says that people believe me in any form, and I am always with them. Some Shaiva, Vaishnava, some Rama, and some consider me Shiva.
The holy teachings of the Gita are not for any language, region, caste, or religion but for all. It is just a matter of the person understanding them. If we adopt the holy teachings of Gita in our life, then we can improve our life. If we take only a few teachings of the Gita in life, then the path of our life will change.
Now the expansion of Gita is not limited only to our country India, but it is expanding to many countries of the world. If it is credited then it goes to Swami Prabhupada Ji who got the Gita translated into English language and spread its teachings to different countries. Today Gita is a very popular scripture all over the world. Today the world is accepting the glory of Gita and its holy messages and trying to follow its teachings.
There is a solution to many obstacles in our life with each verse written in the Gita. It is said about the Gita that if a foolish person takes the teachings of the Gita in his life, then that person becomes enlightened.
Today Gita is written in almost all languages all over the world and can be read by all religions whether Hindu, Muslim, Sikh, Christian, or any other religion. The Gita is not written keeping in mind any specific religion, but its teachings are valuable to all.
Let us start reading Gita from today itself and try to apply its teachings in our life so that we can also save our lives.
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