Gautam Buddha Jeevan Parichay

Gautam Buddha Jeevan Parichay गौतम बुद्ध जीवन परिचय और शिक्षा : हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक – सामाजिक | Gautam Buddha Jeevan Parichay Aur Shiksha : Hindi PDF Book – Social (Samajik) गौतम बुद्ध जीवन परिचय और शिक्षा, Hindi pdf 2023 गौतम बुद्ध जीवन परिचय और शिक्षा, Hindi pdf 2023

ध्यान मनुष्य को महान बनाता है ध्यान आपके मन को नियंत्रित करता है, इसके सैकड़ों मिसाल है, जिन्होंने ध्यान के जरिए अपने मन को नियंत्रित किया और महान कार्य किए। गौतम बुद्ध जीवन परिचय और शिक्षा  विपस्याना यशोधन विनियास, नाशिक महाराष्ट्र के द्वारा प्रकाशित किया गया है। मैं इस लेख के माध्यम से आपको इस पुस्तक के महत्वपूर्ण पहलू को बताने का कोशिश करूंगा।

Gautam Buddha Jeevan Parichay
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गौतम बुद्ध जीवन परिचय और शिक्षा पुस्तक के बारे में

यह पुस्तक गौतम बुध का जीवन परिचय और शिक्षा विपश्यना यशोधन विन्यास नासिक महाराष्ट्र प्रकाशित डिजिटल संस्करण की मूल प्रति है। इस पुस्तक में 52 पृष्ठ है और सात हेडिंगस है। जो की इस प्रकार है;

  •  बुद्ध का जीवन परिचय
  • बुद्ध की शिक्षा
  • बुद्ध वाणी संरक्षण: छ: धर्म संगायन
  •  धर्म का प्रसार
  •  बुद्ध के ऐतिहासिक स्थल
  • विपश्यना साधना
  •  वर्तमान में शिक्षा

बुद्ध का कठिन ध्यान और जीवन परिचय

26 शताब्दी पूर्व का समय इतिहास का महत्वपूर्ण युग था। कहते है, की महान कार्य के निष्पादन के पीछे कोई महान कारण जरूर होता है। गौतम बुद्ध कुलीन वर्ग के होने के बावजूद उनका मन संसार के भोग विलास में नहीं लगा। दुख से मुक्ति होने का मार्ग ‘धर्म’ खोज निकाला। असीम करुणा से भरकर उन्होंने पैतालिश वर्षों तक इस मार्ग को आखायत किया ताकि करोड़ों लोगों को अपने दुख से बाहर निकाल सके।

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इतिहास के अनुसार राजा शुद्धोधन कपिलवस्तु के शाक्य गणराज्य के अधिपति थे। उनकी दो रानियां थी। महामाया पटरानी थी और छोटी रानी महा प्रजापति गौतमी थी। जब महामाया अपने प्रथम प्रसव के लिए राजधानी कपिलवस्तु से मायके देवदह जाने के दौरान मार्ग में ही वैशाख पूर्णिमा के दिन लुंबिनी वन में विशाल साल वृक्ष के नीचे एक पुत्र को जन्म दिया। जन्म जन्म के 7 दिन बाद राज महिषी महामाया का स्वर्गवास हो गया। बालक सिद्धार्थ का पालन पोषण उसकी सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने किया।

बालक सिद्धार्थ छः वर्ष तक सत्य की खोज में भटकते रहे। और सत्य की खोज स्वयं करनी पड़ीं, इस उद्देश्य उरुवेला के सेनानी ग्राम की ओर चल पड़े। वहां उन्होंने पांच अन्य सहयोगियों के साथ कठिन तपस्या का आरंभ किया। उपवास करते करते  केवल हड्डियों का ढांचा मात्र रह गया परंतु पूर्ण निर्मलता की अवस्था हाथ नहीं लगी। अब सिद्धार्थ अकेले पर याद में लगे रहे।

वैशाख पूर्णिमा के दिन निरंजना नदी में स्नान करके वह घने वृक्षों से आच्छादित एक रमणिका स्थान पर आए। वही बुद्धत्व प्राप्त करने तक ना उठने तक का दृढ़  संकल्प लेकर बैठ गए।

यह रात उन्होंने गहन साधना में बिताई। उसी रात को सिद्धार्थ की साधना सफल हुई। और प्रात: काल होने के पूर्व प्राचीन काल से विलुप्त  विपासना साधना को पुनः खोज निकाला।

गौतम बुद्ध की शिक्षा

भगवान बुद्ध का शिक्षा अथवा धर्म प्रसार का क्षेत्र काफी व्यापक है। इसलिए भगवान का दर्शन करने केवल भारत से ही नही अन्य कई देश से बुद्ध धर्मावलंबी भगवान के पूजनीय क्षेत्र लुंबनी, बोधगया, सारनाथ, वैशाली और कुशीनगर आते है।

भगवान ने शिक्षा को धर्म से जोड़ा है, वे कहते है, की ” अज्ञान से युक्त होकर हम अनंत काल से भव संसरन कर रहे हैं। हम जन्म लेते हैं, और जीवन भर अनेक दुखों का अनुभव करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इस अनवरत ‘भव’ को अंत किए बिना यह ‘भव’ श्रृंखला चलती रहती है, बुद्ध ने इसे संसार कहा है।

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भगवान ने अपने अनुभव से जाना है कि समस्त दुखों कारण ‘तृष्णा’ है। उन्होंने चित की गहराइयों में जाकर देखा तो पाया कि मन में उत्पन्न होने वाली तृष्णा भरी प्रतिक्रिया के बीच एक कड़ी और है, वह है शरीर पर होने वाली तरंगे अर्थात संवेदनाएं है। जब कोई छहो  इंद्रियों से उनका कोई विषय टकराता है, तो शरीर में एक प्रकार की तृष्णा जागती है, इसलिए तृष्णा और दुखों से अपने आप को मुक्त करने के लिए भीतर की इस सच्चाई को अर्थात अपने संवेदना को आधार बनाना होगा। अर्थात इनके प्रति अपने अज्ञान को मिटाना होगा।

बुद्ध वाणी संरक्षण: छः धर्म संगायन

भगवान के ज्ञान प्राप्ति के पश्चात उनकी वाणी के संरक्षण के लिए समय-समय पर छ: ऐतिहासिक धर्म संगीतिया  संयोजित हुई है। बुद्ध की इस शिक्षा के संग्रह को ‘तिपिटक’ कहा जाता है।

बौद्ध धर्म का प्रसार

ऐतिहासिक तथ्यों से ज्ञात होता है, कि भगवान के जीवन काल में सम्राट बिंबिसार, महाराज शुद्धोधन और महाराज प्रशेनजित आदि स्वयं धर्म धारण करके भगवान के शिक्षा प्रसार में उत्साह पूर्वक सहायता की है।

इसी तरह भगवान के जीवन काल के बाद ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के शासनकाल में धर्म का खूब प्रसार हुआ।

बुद्ध के ऐतिहासिक स्थल

महापरिनिर्वाण के समय बुद्ध ने  “आनंद” से कहा धर्म पथ पर सीतापुर लोग चलने वाले लोगों की यात्रा हेतु चार महत्वपूर्ण स्थान है।

  • लुंबनी
  • बोधगया
  • सारनाथ
  • कुशीनगर

इस पुस्तक के बारे में महत्वपूर्ण बातें

गौतम बुद्ध के जीवन और शिक्षा नामक यह किताब अथवा भगवान बुद्ध का जीवन हमे गहन ध्यान और विपश्यना साधना के बारे में बताता है। भगवान बुद्ध ने यह खुद स्वीकारा है, उनका गहन ध्यान की जो विधि थी वह  ही थी। विपस्याना के बारे में भी इस पुस्तक में बताया गया है। सब मिलाकर यह किताब भगवान महावीर के जीवन और शिक्षा के मूल बातें बताती है। हमे एकबार यह पुस्तक जरूर पढ़ना चाहिए। 

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