जैसा की हम सभी जानते है, हर देश का अपना एक साहित्य होता है और उस साहित्य में लोककथाओं (folk tales) का अपना एक विशेष महत्व होता हैं। हमारे भारत देश का panchatantra stories in hindi साहित्य विश्व में सबसे अधिक पुराना है और साथ ही इसकी लोककथाएँ panchatantra short stories in hindi with moral भी उतनी ही प्राचीन और रोचक है। पतंजलि योग सूत्र
इन्हीं लोक कथाओं में श्री विष्णु शर्मा द्वारा रचित संस्कृत का समय विजयी अमर ग्रंथ ‘पंचतंत्र’ भी है।
पंचतंत्र की कहानियों के मुख्यतः पांच भाग है। rich dad poor dad in hindi pdf
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पंचतंत्र panchatantra stories in hindi by Vishnu Sharma (PDF) डाउनलोड करे
यहां हम विशेषकर बच्चों के लिए पंचतंत्र की कहानियों का एक संग्रह दे रहे हैं :
पंचतंत्र की कहानियाँ (panchatantra stories in hindi)
चुहिया का स्वयंवर
मित्रता
शेर और चूहे की कहानी
बोलने वाली गुफा
ब्राह्मण और ठग
खटमल और कीड़ा
जैसे को तैसा
कौवे की चालाकी
रंगा सियार
नटखट बंदर
युक्ति
शेर और खरगोश
तीतर और समुद्र
एक और एक ग्यारह
राजा और बंदर
हंस और उल्लू
सारस और नेवला
कौए और उल्लू का बैर
ठग और साधु
एकता की शक्ति
ब्राह्मण और ब्रह्मराक्षस
बड़े नाम की महिमा
ठग और साधु
देवशर्मा नाम का एक ब्राह्मण था। वह दान में मिले कपड़ों को बेचकर उसने काफी ज्यादा धन इकट्ठा कर लिया था। अपने धन की सुरक्षा के लिए उन्हें एक पोटली में बांधकर उसे सदा अपने साथ रखता था। वह अन्य किसी दूसरे पर विश्वास नहीं करता था।
अष्टभूति नाम के एक चोर ने सदा उसे एक पोटली लिए देखकर सोचा कि यह अवश्य ही बहुमूल्य है इसके अंदर कुछ न कुछ तो जरूर मिलेगा, इसे चुराना चाहिए। पहले मैं इसका विश्वास जीतता हूं फिर ही इसे ठगने में कामयाब हो पाउँगा ।
एक दिन वह उस ब्राह्मण देवशर्मा के पास गया और बोला, ‘ हे संत, आपका अभिवादन है। मैं अनाथ हूं। मुझे अपना शिष्य स्वीकार करें। साडी उम्र मैं आपकी सेवा करूंगा।’ देवशर्मा ने बहुत प्रसन्न होकर कहा, ‘ठीक है, मैं तुम्हें शिष्य बनाता हूं किन्तु एक शर्त है की तुम मेरी पोटली को हाथ भी नहीं लगाओगे।’
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चोर अब देवशर्मा के साथ स्वामीभक्त शिष्य की भांति रहने लगा। एक दिन किसी पुराने शिष्य का निमंत्रण स्वीकार कर दोनों गुरु चेला उसके घर पहुंचे। वहां कमरे में सोने की मुद्रा पड़ी हुई मिली। चोर चोर अष्टभूति ने मालिक का विश्वास जीतने के लिए कहा, ‘श्रीमान् क्षमा करें, यह मुहर तो हमारी नहीं है। हमें इसे दे देना चाहिए।‘
चोर अष्टभूति की ईमानदारी से देवशर्मा अभिभूत होकर अपने मन नही मन सोचने लगा, ‘यह तो बहुत ही ईमानदार व्यक्ति है। अब मुझे इसका भय नहीं है। यह मेरा धन नहीं चुराएगा।‘
उस शिष्य के घर से वापस लौटते समय एक नदी पड़ी थी तो देवशर्मा ने नहाने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा, ‘पुत्र! मैं स्नान करना चाहता हूं। तुम मेरी गठरी और पोटली का ख्याल रखो।‘ यह कहकर देवशर्मा नहाने चला गया।
चोर अष्टभूति ने मौके का फायदा उठाकर धन की पोटली उठाई और चंपत हो गया।
नदी के दूसरे किनारे पर दो बकरियाँ आपस में लड़ रही थीं।
देवशर्मा उसी नज़ारे को देख रहा था। नहाकर जब वह नदी किनारे आया तो अपनी पोटली उस चोर अष्टभूति को वहां न पाकर उसने पहले बहुत पुकारा फिर समझ गया कि वह ठगा जा चूका है | एक अनजान व्यक्ति पर विश्वास करने के कारण उसे धोखा मिला था, उसकी सारी कमाई सम्पति जा चुकी थी।
panchatantra stories in hindi शिक्षा (Moral of the Story): अति शीघ्र ही किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। panchatantra short stories in hindi with moral
एकता की शक्ति
एक दिन एक तालाब के किनारे मंथरक (कछुआ), लघुपतनक (कौआ) और हिरण्यक (चूहा) बैठे आपस में कुछ बातें कर रहे थे। तभी शिकारी से अपनी जान बचाता हुआ चित्रांग (हिरण) वहाँ आया और उनका मित्र बनकर उनके साथ ही रहने लगा।
एक दिन हिरण जबअपना खाना ढूंढकर शाम को जब वापस नहीं आया तो उसके सभी मित्र चिंतित हो गए। सबकी सलाह से मित्र कौए ने आसमान में उड़कर उसे ढूँढना शुरू किया। हिरण ने जब अपने मित्र कौए को देखा तो चिल्लाकर बोला, “शिकारी के आने से पहले कृपया करके जाल से मुझे निकालो।”
कौआ दोस्तों के पास पुनः पहुंचा। उन्हें सारी बात उन्हें बताई और चूहे को उस हिरण के पास ले गया। अपने पैने दाँतों से चूहे ने शिकारी का जाल काट दिया। इसी बीच धीरे धीरे रेंगता-रेंगता कछुआ भी वहां पहुंच गया था।
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तभी वह शिकारी आया और जाल कटा हुआ तथा हिरण को गायब देखा। शिकारी को देखते ही सभी जान बचाकर भाग खड़े हुए। कौआ उड़ गया, चूहा पत्थरों के पीछे छुप गया और हिरण ने जंगलों की ओर छलांग लगाई परन्तु कछुआ बेचारा पकड़ा गया। उसे थैले में बंद कर वह शिकारी चल पड़ा।
अब मित्र कछुए को बचाने की सलाह की गई। तो कौए ने उपाय बताया, “हिरण भाई, तुम तालाब के पास जाकर मरने का नाटक करो। मैं तुम्हारी आँख निकालने का नाटक करूँगा। शिकारी तुम्हें मरा हुआ समझकर, थैला छोड़कर पकड़ने आ जाएगा। तुम वहां से चौकड़ी भरकर भाग लेना। तभी हमारा चूहा थैला कुतरकर कछुए को बचा लेगा।”
कौए के बताए गए उपाए के अनुसार हिरण मृतप्राय लेट गया। शिकारी ने उसे मृत जानकर थैला रखा और उस हिरण को लेने दौड़ा। शिकारी को पास आता देखकर हिरण उठ गया और बिजली की गति से जंगलों में भाग गया। निराश शिकारी वापस अपने थैलों के पास आ गया । तब तक थैला कुतरा हुआ था और कछुआ गायब… उसके दुःख की सीमा न रही।
इधर, चारों मित्र हिरण्यक, मन्थरक, लघुपतनक और चित्रांग फिर से साथ होकर बहुत ही प्रसन्न थे।
panchatantra stories in hindi शिक्षा (Moral): संगठन में बहुत शक्ति होती है।
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