Jaipal Singh Munda Biography Hindi PDF Free Download मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा लेखक : अश्वनी कुमार पंकज 2015 प्रकार : जीवनी “आखिर कौन है जयपाल सिंह मुंडा?” “उनका क्या योगदान रहा है आदिवासियों के उत्थान में”
” हॉकी स्टिक और सुनहरे विजन वाले आदिवासी नेता का जीवन कैसे कटा? ” “आखिर क्यों जयपाल सिंह मुंडा को हमेशा दरकिनार किया जाता रहा?” ” किस तरह इतिहास के पन्नों से एक कभी न मिटने वाले आदिवासियों के रहनुमा को मिटाने की नाकाम कोशिश किया जा रहा है?”
Jaipal Singh Munda biography Hindi pdf free download इस तरह के तमाम सवालों का जवाब देने की कोशिश करती हुई यह पुस्तक आदिवासी नेता एक उत्कृष्ट हॉकी के प्लेयर जयपाल सिंह मुंडा के जीवन पर आधारित है। यह अश्वनी कुमार पंकज द्वारा हिंदी में प्रकाशित इस तरह की पहली जीवनी है।
पुस्तक : मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा जीवनी
पुस्तक की भाषा : हिंदी
पेज : 179
आखिर कौन है मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा ?
जयपाल सिंह मुंडा को भारतीय आदिवासियों व झारखंड आंदोलन के सर्वोच्च नेताओं में से एक माना जाता है।
इनका जन्म 3 जनवरी 1903 को रांची तत्कालीन बिहार में हुआ था।इनकी मृत्यु 20 मार्च 1970 को दिल्ली में हुई ।
मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा इनका वास्तविक नाम ईश्वरदास जयपाल सिंह है । इन्हें मरोड़ गोमके के नाम से भी पुकारा जाता था।मरोड़ गोमके को स्थानीय भाषा में अगुआ या नेता के नाम से जाना जाता है। इन्होंने सबसे पहले छोटानागपुर क्षेत्र और झारखंड के आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य की मांग की। वे एक राजनीतिज्ञ पत्रकार लेखक संपादक व शिक्षाविद थे। इनकी शुरुआती शिक्षा रांची में गांव में ही हुई।
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बाद में ईसाई मिशनरीज की मदद से इन्हे ऑक्सफोर्ड के सेंट जॉन्स कॉलेज में प्रवेश मिला। वह यह खेल को वाद विवाद निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताओं में अव्वल थे । वे मुख्यता हाॅकी में विशेष रूचि रखते थे। इन्हें हॉकी के कैप्टन के रूप में कॉलेज में नियुक्त किया गया। जहां इन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया।वे भारतीय हॉकी टीम के भी कप्तान नियुक्त किये गये।
इन्होंने उस समय की भारतीय प्रशासनिक सेवा आईसीएस को भी पास किया था। इन्होंने 1928 के ओलंपिक गेम में भारतीय टीम की अगुवाई की तथा भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलवाया। जब वे वापस आए तब इन्हें आईसीएस कमेटी द्वारा इन्हें 1 वर्ष का प्रशिक्षण करने के लिए बाध्य किया गया।
Jaipal Singh Munda Biography Hindi PDF Free Download तब इन्होंने उसे पूर्ण करने से मना कर दिया जिससे इन्हें आईसीएस से निकाल दिया गया। उन्होंने इस संबंध में डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी मदद की उम्मीद की मगर कुछ मदद ना मिली । इस दौरान वे झारखंड के आदिवासियों से मिले जहां उन्हें उनकी स्थिति का ज्ञान हुआ तथा वे राजनीति में आने के लिए बांध्य हुए।
मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा इन्होंने जनवरी 1938 में आदिवासी महासभा की अध्यक्षता की ।और बिहार से एक अलग पृथक राज्य छोटा नागपुर पठार क्षेत्र के लिए झारखंड राज्य की मांग की। उन्होंने संविधान सभा में आदिवासियों के लिए कई प्रावधानों की मांग की तथा उनकी समस्याओं को खुलकर संविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया।
उन्होंने अनुसूचित जनजातियों शब्द की जगह मूलवासी आदिवासी शब्द करने की मांग की इन्होंने आदिवासियों के उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाई।
जयपाल सिंह मुंडा : हॉकी स्टिक और सुनहरे विजन वाले एक आदिवासी राजनेता –
इन्होंने 1928 के एमस्टरडम ओलंपिक गेम मैं भारतीय हॉकी टीम की अगुवाई की। तथा स्वर्ण पदक दिलवाने में एक अहम भूमिका निभाई ।जिस दिन फाइनल था उसके कुछ समय पहले ही इनका प्रबंधन टीम के द्वारा जिसमें ज्यादातर ब्रिटिश अधिकारी थे ,भारतीय खिलाड़ियों के साथ किए जाने वाले हैं बर्ताव को लेकर तकरार हो गया।
जिस कारण इन्होंने फाइनल में भाग नहीं लिया परंतु टीम को यहां तक पहुंचाने में इन्होंने काफी सक्रिय भूमिका निभाई ।उस समय टीम में हाकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद भी इन्हीं के साथ थे। जिन्होंने फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ दो गोल किए थे और भारत ने उस मैच में नीदरलैंड को 3-0 से हराया था। उस दिन के बाद से जयपाल सिंह मुंडा जी ने कभी भी है हाॅकि नहीं खेला हालांकि उन्होंने परोक्ष रूप से इसमें भाग लिया।
झारखंड की स्थिति और झारखंड आंदोलन
झारखंड का छोटा नागपुर पठार का क्षेत्र मुख्यतः आदिवासी बहुल क्षेत्र है।उनकी अपनी खुद की संस्कृति और परंपरा है। छोटा नागपुर पठार क्षेत्र की बात करें तो यह भारत के सबसे ज्यादा खनिज संपन्न राज्यों में से एक है।
Jaipal Singh Munda Biography Hindi PDF Free Download यहां कई तरह के खनिज जैसे कोयला लोहा बॉक्साइट तांबा चूना पत्थर इत्यादि काफी उपलब्ध हैं ।जो बाहर के अन्य लोगों को काफी आकर्षित करते हैं ,जो अंततः वहां के मूल निवासियों की दोहन, उनकी परंपराओं के अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं।
मरोड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा बात करें झारखंड आंदोलन की तो सबसे पहले 1938 में झारखंड पृथक राज्य बनाने की मांग हुई।जो धीरे-धीरे समय-समय पर लोगों द्वारा उठती रही ।आजादी के बाद जब राज्य पुनर्गठन आयोग का स्थापना किया गया तब भी झारखंड राज्य की मांग की गई। बाद में कई स्थानीय पार्टियों ने स्थानी स्थानीय जनजातियों की मदद से अलग राज्य की मांग लगातार करते रहे।
लगभग राजपाल सिंह मुंडा की मृत्यु के 30 वर्षों के बाद उनकी यह मांग वास्तविकता में बदल गई ।
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वर्तमान परिदृश्य
अभी हाल ही में झारखंड सरकार तथा विदेश राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय एफसीडीओ ब्रिटिश उच्चायोग के बीच नई दिल्ली में एक एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। जिसके द्वारा हेमंत सोरेन सरकार तथा ब्रिटिश उच्चायोग ने शेवनिगं मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेसीय छात्रवृत्ति का शुभारंभ 23 अगस्त 2022 को किया ।
Jaipal Singh Munda Biography Hindi PDF Free Download यह अपने आप में इस तरह की पहली अंतरराज विदेशी योजना है इसमें अधिक झारखंड के अधिकतम 5 छात्र /छात्राओं को जो अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक होंगे के है ,को प्रदान की जाएगी ।इसमें उनके ब्रिटेन में पढ़ाई के उच्चतर अध्ययन के वित्तीय खर्च को झारखंड सरकार और ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा वहन किया जाएगा।
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