सन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी The Monk who sold his Ferrari – रोबिन शर्मा, पुस्तकें हमेशा से हमारी सबसे अच्छी दोस्त रही है या यू कह सकते है किताबो से लगभग सभी का वास्ता पड़ता रहता हैं किसी न किसी बहाने से ।
आज हम बात कर रहे है ऐसी ही एक पुस्तक की जो चन्द लाइंस और पैराग्राफ का महज संकलन ही नहीं है अपितु हमारे वास्तिक जीवन की दैनिक जरूरतों को एक दिशा दे सकती है। हम बात कर रहे है कई वर्षो तक #bestseller रही The Monk who sold his Ferrari पुस्तक की ।
“हम सब यहां किसी खास वजह से है , अपने अतीत के कैदी बनना छोड़िए, और भविष्य का निर्माण कीजिए ।”
पुस्तक book : सन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी
लेखक author : रोबिन शर्मा
पुस्तक की भाषा language : हिंदी
पेज page : 168
The Monk who sold his Ferrari पुस्तक के लेखक के बारे में
लाखों युवाओं को प्रेरित करने वाले , कुशल वक्ता ,एक अच्छे पथ प्रदशक की निशानी होती है की वह हमेसा से लोगो को प्रेरित करता रहता है। ऐसे ही एक लेखक है Dr Robin sharma जो मूलत भारत के ही है उन्होंने लॉ की डिग्री ली है । वर्तमान में वो कनाडा यू एस ए में कार्य करते है ।
उन्होंने 25 की आयु में लिखना स्टार्ट किया ।उन्होंने पहली पुस्तक 1994 मे प्रकाशित की Megaliving नाम से जो काफी सराही गई । वर्ष 1997 में उन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक The Monk who sold his Ferrari लिखी जो काफी चर्चित रही। इसके बाद रोबिन शर्मा जी ने एडवोकेट बंद कर दी और फुल टाइम लेखक बन गए । उन्होंने Sharma leadership international trainig company बनाई। उन्होंने विश्व के कर सारे उद्योगे यूनिवर्सिटीज मे मोटिवेशनल स्पीच्स दी जैसे की माइक्रोसॉफ्ट गूगल आईबीएम ऑक्सफोर्ड स्कूल हार्वर्ड स्कूल ऑफ बिजनेस और यहां तक कि उन्होंने नासा में भी लेक्चर्स दिए है । उनकी कई अन्य पुस्तके भी है जैसे की
- Who will cry when you die
- The saint and the surfer
- The greatness guide
सारांश और कहानी
इस पुस्तक The Monk who sold his Ferrari में एक धनी व्यक्ति जूलियन मैंटल के जीवन के इर्द गिर्द घूमती है । जूलियन और उसके सहायक जॉन के बीच के बातचीत को दिखाती है । इसमें जूलियन बताता है की कैसे उसने भारत में आकर यहां के एक योगी रमन से सीखा । इसमें दिखाया गया है की रमन योगी द्वारा सिखाया गया ज्ञान जूलियन कैसे अपने मित्र जॉन को सुनाता है क्योंकि रमन योगी ने इस शर्त पर जूलियन को सिखाया था की वह वापस वही जाकर उन लोगो भी सिखाएगा जहा से वह आया है ।
सन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी-पृष्टभूमि
कहानी The Monk who sold his Ferrari की शुरुवात में दिखाया जाता है की जूलियन जो की एक काफी पहुंचा हुआ व्यक्ति है जो पेशे से एक वकील है और उसने अपने जीवन में सबकुछ प्राप्त कर लिया है उसके पास बेतहाशा दौलत है खुद का प्राइवेट जेट है ,द्वीप पर गर्मियों में ठहरने के लिए घर है , गाड़ी है बंगलो है यानी की उसके पास किसी की भी कमी नही है।उसने अपने जीवन में कोई भी मुकदमा नहीं हारा है। अब उसकी उम्र 50 के पर जा चुकी है ।
एक दिन भी कोर्ट में रहता है तभी उसको दिल का दौरा पड़ जाता है जिसके बाद उसे अस्पताल में इलाज करवाया जाता है । इलाज से आने के बाद वह बेचैन सा रहने लगता हैं न ही वह किसी से मिलता है न ही कही जाता है ।उसका सहायक जॉन कई बार उससे मिलना चाहता है पर जूलियन उससे भी नहीं मिलता है ।एक दिन जूलियन अपना सबकुछ छोड़कर बिना किसी को बताए भारत आने के बारे में विचार करता है ।
उसने सिवाना के साधुओं में सुना था जो हिमालय पर तपस्या करते थे और सौ साल से भी ज्यादा जीते थे । वह भारत आता है और यहा पर एक योगी जिनका नाम रमन योगी था उनसे मिलता है जिनकी उम्र काफी हो गई थी मगर वो दिखने में अभी 30 35 के ही समान सक्रिय थे ।उनमें तेज था ।
जूलियन उनके साथ उनके आश्रम में जाता है जहा उन्होंने एक कहानी सुनाई ।कहानी सुनकर जूलियन को कुछ समझ नहीं आता है फिर रमन योगी जी जूलियन को विस्तार से समझाते है ।रमन योगी जी ने कुल सात सद्गुणों को बताया है जिनसे एक व्यक्ति सफल जीवन बिता सकता है । उनके अनुसार रुपया पैसा धन दौलत जमीन भौतिक सुख ही सबकुछ नही होता इसके साथ साथ मन की शांति भी होना चाहिए ।
इसमें सातों गुणों को एक एक अध्याय में समझाया गया है और हर अध्याय के अंतिम में संक्षेप से बताया गया है ।
The Monk who sold his Ferrari कहानी कुछ इस तरह होती है की ,
एक बगीचा होता है जिसमे एक प्रकाशघर बना रहता है । उस घर में एक सूमो पहलवान रहता है जिसने सिर्फ एक लाल रंग का तार अपने शरीर को ढकने के लिए पहना हुआ है ।एक दिन वह सुबह सुबह उठा और बाहर आया ।बाहर आने के बाद वो वही पर एक सुनहरी घड़ी से टकरा जाता है जिससे वह जमीन पर गिर जाता है । फिर उसे बगीचे में एक पीला गुलाब का फूल दिखाई देता है वह उन फूलों को लेता है तभी उसे हीरो का रास्ता दिखाई देता है ।वह उन रास्तों को देखता है फिर मुस्कुराते हुए उन रास्तों पर चल पड़ता है ।
रमन योगी जी आगे समझाते है की जो बगीचा है वह हमारा मन है जैसे बगीचे में कई तरह के पेड़ पौधे जीव जंतु विविधता होती है वैसे ही हमारे मन में कई तरह के विचार होते है कुछ अच्छे होते है कुछ बुरे । प्रकाशघार यानी की एक लक्ष्य , हमारे जीवन में विचार तो कर सारे आते है हम रोज कोई न कोई नया गोल बना लेते है फिर अगले दिन उसे भूल जाते है फिर एक नया गोल जो की गलत है हमे एक गोल बनाना चाहिए फिर उसे पूरा करना चाहिए ।
सूमो पहलवान यानी की हम जो लगातार सीखने से अपने अंदर बदलाव लाते रहने चाहिए जैसेकी सूमो पहलवान रोज कैजेन करता रहता है । लाल केबल की तार हमे अनुशासन और नियंत्रण सिखाती है ।सुनहरी घड़ी हमे सिखाती है की हमे फालतू के वक्त बर्बाद नही करना चाहिए क्यूंकि समय कभी वापस नही आता है ।
और पीला गुलाब हमे निस्वार्थ भाव से सहायता करना सिखाता है जैसे की यदि कोई गुलाब देता है तो देने वाले के हाथ में भी खुशबू रह जाती है वैसे ही अगर हम किसी की मदद करेंगे तो हमारा भी अच्छा होगा आज नही तो कल होगा पर होगा जरूर । और अंत में हीरो का रास्ता हमे सिखलता है की हमे छोटी छोटी खुशियों लक्ष्यों को पाने पर खुशी मनाना चाहिए क्यूंकि यही वर्तमान है । हमे वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना है नही ही भविष्य की सोच करके परेशान होना है नहीं भूत की ।
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रमन योगी जी ने ज्यादातर उन्ही विचारों और गुणों की बात की है जिन्हे हम पहले से ही जानते है जैसे की सकारात्मक सोचना , सकारात्मक होना ,दूसरो की मदद करना ,समय बर्बाद न करना आदि हालांकि ये सभी बाते कहने में तो काफी आसान लगती है पर उन्हें अपने वास्तविक जीवन में उतारना उतना ही कठिन ।
रोबिन शर्मा जी कहते है कि कोई भी चीज दो बार बनती है एक बार हमारे मन में और फिर वास्तविकता में ।
The Monk who sold his Ferrari रिव्यू और सलाह
यह पुस्तक वाकई में काफी सराहनीय है ।इस पुस्तक को सभी वर्ग के पाठक चाहे वह युवा वर्ग हो या उद्मशील या फिर बुजुर्ग या फिर कामकाजी घरेलू महिलाएं। यह सभी आयु वर्ग के काफी प्रेदनदायी है । इस में जीवन के कई सामान्य परंतु काफी उपयोगी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है ।
The Monk who sold his Ferrari आलोचना
आप कभी भी किसी की व्यतिगत राय को जज नही करते सकते हा फिर भी आप कुछ सलाह दे सकते है ।
अगर हम आज की वर्तमान की बात करे तो कर चीज है जो रमन योगी जी की बातो से परे हो और सही साबित हो रही है कुछ बाते ऐसे भी है जो गलत सिद्ध हो रही है । हर सोच का अपना एक जरिया होता है एक वक्त होता है ।
अगर हम बात कर इसमें प्रयुक्त शब्दो की तो कई शब्द हमारे सामान्य जनमानस की समझ से परे है ।हालांकि व्यवहारिक में बाते सही है ।
पुस्तक में कई सारे उदाहरण होने चाहिए थे जो व्यवहारिक हो ।
The Monk who sold his Ferrari निष्कर्ष
वैसे देखी जाए तो यह पुस्तक काफी सरहनीय हैं।और आज के खोए हुए युवाओं को ,निराश उद्यमियों को , हताश जनमानस को सोचने और समझने की एक दिशा प्रदान कर सकती है । भारतीय समाज के परिपेक्ष में यह पुस्तक काफी मददगार होगी । नैनिहालो और युवाओं को एक समुचित दिशा प्रदान करेगी ।
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