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Book Name | bhagavad gita as it is pdf in hind |
Author | Shri Krishna |
Category | Religion |
No. of Pages | 1051 |
Size | 4.1 MB |
Language | HIndi |
Quality | Very Good |
Source / Credits | pdffile.co.in |
Download Link | Click Here |
Published/Updated | 14-08-2022 |
About bhagavad gita pdf
bhagavad gita pdf in hindi Our ancient scriptures have always taught humanity the right direction and way of life. Whatever religion we follow, we move forward according to that religion, and we get these ideals only through religious texts.
For many centuries, generation after generation, we have followed these ideals.
Respecting all these religions, we provide you with the facility to download all religious texts and many informative books in Hindi.
The bhagavad gita pdf in Hindi is in a narrative framework of a dialogue between Prince Arjuna and his guide and charioteer Lord Krishna. At the beginning of the Kurukshetra War (also known as Dharma Yuddha) between the Pandavas and the Kauravas, Arjuna is confused and shocked, thinking about the violence and death in the war against his brothers, gurus, and relatives. gets filled.
These Shri Krishna-Arjuna dialogues cover many spiritual topics, touching upon many of our dilemmas and philosophical issues presented through Arjuna’s words.
bhagavad gita pdf hindi vivaran:
श्री मदभगवद-गीता bhagavad gita pdf प्राचीन भारत से आध्यात्मिक ज्ञान का शाश्वत संदेश है। गीता शब्द का सामान्य अर्थ है गीत और शब्द। भगवद का अर्थ है भगवान, अक्सर भगवद-गीता को भगवान का गीत भी कहा गया है।
भगवद गीता धर्म, आस्तिक भक्ति और मोक्ष के योगिक आदर्शों के बारे में हिंदू विचारों का एक सार प्रस्तुत करती है। गीता में ज्ञानयोग, भक्ति, कर्म और राज योग शामिल हैं, जिसमें सांख्य-योग दार्शनिक विचारों को शामिल किया गया है।
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हमारी इस पोस्ट में हमने आपके लिए (Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi PDF) भगवत गीता हिंदी में पीडीएफ का डाउनलोड लिंक भी दिया है।
श्रीमद्भगवद्गीता | Bhagavad gita pdf in hindi Summary
हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों ने हमेशा से मानवता को सही दिशा और जीवन की शैली सिखाई है। हम जिस भी धर्म को मानते हैं उसी धर्म के अनुसार आगे बढ़ते हैं और ये आदर्श हमें धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से ही मिलते हैं। अनेक सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी हम इन्ही आदर्शों का पालन करते आये हैं।
हम आपको इन सभी धर्मों का सम्मान करते हुए सभी धार्मिक ग्रंथों और अनेको ज्ञानवर्धक पुस्तकों को को हिंदी में डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
श्री भागवत गीता Bhagavad gita pdf राजकुमार अर्जुन और उनके मार्गदर्शक और सारथी भगवान श्री कृष्ण के बीच एक संवाद के एक कथात्मक ढांचे में स्थापित की गयी है। पांडवों और कौरवों के बीच कुरुक्षेत्र के युद्ध (जिसे धर्म युद्ध की भी की भी संज्ञा दी गयी) की शुरुआत में, अर्जुन अपने ही भाइयों, गुरु, और रिश्तेदारों के खिलाफ युद्ध में होने वाली हिंसा और मृत्यु के बारे में सोचकर दुविधा और निराशा से भर जाता है।
यह श्री कृष्ण-अर्जुन संवाद आध्यात्मिक विषयों की एक बहुत बड़ी श्रृंखला को कवर करते हैं, जो हमारी अनेको दुविधाओं और दार्शनिक मुद्दों को छूते हैं जो अर्जुन के शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किये गए है |
श्रीमद्भगवद्गीता ki kuch baate
श्रीमद्भगवद्गीता bhagavad gita pdf एक लोकप्रिय और महान हिन्दू ग्रन्थ है जिसमे महाभारत का वर्णन किया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता एक बहुत ही रहसयमय ग्रंथ है जिसमे सभी वेदो, पुराणों, उपनिषदों और जीवन का सार दिया गया है
जो भी इंसान साफ़ मन से और ध्यान लगा कर गीता को पढता है उसके सभी दुःख, व्याधि, शोक, भय, चिंताओं को भगवान श्री कृष्णा हर लेते है |
जो नर अथवा नारी हमेशा श्रीमद्भगवद्गीता को पढता है तथा उसमे बताई गयी बातो को अपने जीवन में धारण करता है, आचरण करता है, उसके पूर्व जन्म और इस जन्म में किये हुए सारे पापकर्म मिट जाते है|
पानी से नहाने पर इस शरीर का मैल साफ होता है लेकिन गीता रूपी अमृत जल से किया हुआ स्नान आत्मा के भयंकर मैल को भी खत्म कर देता है|
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जो प्राणी श्री कृष्ण भगवान के मुख से बताई इस अमृत रस रूपी गीता को समझ जाता है वो मनुष्य इस संसार में बार बार जन्म लेने के बंधन से (भवसागर) मुक्त हो जाता है अर्थात मुक्ति/मोक्ष प्राप्त कर लेता है|
संसार में आज के समय में यदि इस धर्मग्रन्थ गीता को सहीतरीके ढंग से अध्ययन किया जाये तो पुरे मानव समाज की भलाई होगी । श्रीमद्भगवद्गीता में मानवों में समानता, मानव एवं प्राणियों में समानता और सारे प्राणियों में समानता का वर्णन है। इसी विषय के संबंध में गीता के भीष्म पर्व का छठा तथा 32वां श्लोक विशेष ध्यान देने योग्य है।
मनुष्य की गति क्या है?
मनुष्य की गति क्या है? इस प्रश्न पर आज का आदमी विशेष रूप से अत्यधिक चिन्तित दिखाई पड़ता हैं हालांकि आम आदमी यह बहुत अच्छी तरह जानता है कि जो जिस तरह का काम करेगा, वह उसी तरह का फल पाएगा अर्थात अच्छाई का फल अच्छा और बुराई का फल बुरा होगा ।
Bhagavad gita pdf मनुष्य की यही ईश्वर निर्धारित गति है। फिर भी मनुष्य इसका परिणाम जानते हुए भी सही कर्म नहीं करता और आखिरकार दुख ही होता है।
श्रीमद्भगवतगीता में मनुष्यो के गुण तथा कर्म के आधार पर उनकी उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ, इन 3 प्रकार की गतियों का वर्णन किया गया हैं।
कर्म योग एवं सांख्य योग की नजर से अच्छे भाव/मनोइच्छा से किया गया कर्म और भक्ति करने वाले की गति तथा सामान्य रूप से सभी जीवों की गति का भी इसमें उचित प्रकार से उल्लेख किया गया है।
अपनी रचना के समय से ही श्रीमद्भगवद्गीता आम नागरिको को प्रेरित करती आई है, उन्हें सही दिशा दिखाती आयी है।
वर्तमान समय का मनुष्य समस्याओं से ग्रस्त होकर गीता की ओर जाने का सोचता तो है, परन्तु वह गीता की ओर कितना जा पाता है, यह उसके कर्मों की गति से निर्धारित होता है।
दुनिया की लगभग 81 से ज्यादा भाषाओं में भगवद्गीता का अनुवाद सफलतापूर्वक हो चुका है। इसे पूरे विश्व में एक प्रमाणिक शास्त्र माना जाता है।
श्रीमद्भागवत गीता Bhagavad gita pdf in hindi का एक महत्वपूर्ण संदेश – दूसरों का हित करना सबसे बड़ा धर्म और कर्तव्य
इस संसार में मानव ऐसा जीव है, जिसमें विवेक अर्थात दिमाग होता है। अपने विवेक के माध्यम से उसने अनेक प्रकार के परिश्रम करके वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति हासिल की है।
इस उन्नति का लक्ष्य जीवन को अधिक सुखी बनाना है। सुख प्राप्त करने की उसकी यह प्रबल अभिलाषा धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है। जब सुख के साधन केवल भौतिक अर्थात सांसारिक सुखों तक ही सीमित रह जाते हैं, तो धीरे-धीरे स्वार्थ की भावना बढ़ने से मनुष्य दूसरों के हित-अहित परोपकार की चिंता किए बिना अपने ही सुख-साधनों को बढ़ाने में जुट जाता है।
इससे समाज के निम्न वर्ग के लोग निरंतर शोषण की चक्की में पिसने लगते हैं। समाज में असंतुलन पैदा होने और शोषण बढ़ने से सामाजिक असंतोष, अराजकता एवं अनैतिकता को बढ़ावा मिलता है। प्रकृति भी इस मानवीय प्रभाव का शिकार होती है और अंततः इससे अनेकों प्राकृतिक आपदाएं भी आने लगती है।
मानव का पूर्ण और प्राकृतिक जीवन केवल भोग विलास और कामनाओं के जाल में घिर जाता है। इससे मानवता का हित चाहने वाले उसके समर्थक दुख पाते है। लेकिन इसका एक पक्ष और भी है, कि अपने स्वयं के स्वार्थ से उठकर कुछ लोग मानवता की भलाई में ही अपने जीवन को सम्पूर्णतः समर्पित कर देते हैं।
परहित अथवा परोपकार का अर्थ:-
परहित दो शब्दों के योग से बना हैं – पर हित। पर का तात्पर्य है – अपनों से अतिरिक्त कोई भी दूसरा तथा हित का अर्थ है- भलाई। अतः इस शब्द का मतलब है – दूसरों की भलाई। यहाँ पर दूसरों शब्द का अर्थ है – वे लोग, जो हमारे अपने नहीं हैं, जिनसे हमारा कोई स्वार्थ नहीं होता है। कभी-कभी हम अपने रिश्तेदारों के प्रति भी करूणा की भावना रखकर उनकी भलाई करते हैं। Bhagavad gita pdf
लेकिन अपने प्रियजन-परिजन, नाते-रिश्तेदारी का हित करना वास्तव में इंसान का खुद का कर्तव्य होता है। इसे सहायता रूप में माना जा सकता है। इसका भी महत्व होता है और यह एक अच्छा काम है, मानवीयता है और मानव का धर्म भी है।
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लेकिन परहित शब्द का अर्थ इससे अलग होता है । जब अपने हित-अहित, लाभ-हानि का विचार किये बिना, दूसरे लोगों का हित, उनकी भलाई की जाती है तो यही कर्म वास्तव में परहित कहलाता है। परहित करने वाला सभी प्रकार की कामना और इच्छाओं को त्यागकर निःस्वार्थ भाव से वह दूसरों की सेवा करता है।
श्रीमद्भगवद्गीता Bhagavad gita pdf in hindi धर्म, आस्तिक, भक्तियोग और मोक्ष के योगिक आदर्शों के बारे में हिंदू विचारों का सार प्रस्तुत करती है। यह ग्रन्थ हिंदू ग्रंथों में सबसे उत्तम और सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें एक अद्वितीय और अलौकिक प्रभाव है।
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