Chanakya Aur Dainik Jivan Main Saflata In Hindi PDF Free Download चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहलाए। चाणक्य को कौटिल्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने विख्यात अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ लिखा था। यह ग्रंथ राजनीति, अर्थनीति कृषि, समाज नीति, आदि का महान ग्रंथ है।
अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्री होने के साथ ही, एक महान ज्ञानी थे। आचार्य चाणक्य समुंद्र शास्त्र में भी विद्वान थे।
इनके बारे में एक कथा विख्यात है, एक बार चाणक्य के घर एक साधु आया, इस समय चाणक्य बगीचे में खेल रहे थे। साधु महाराज चाणक्य को देखकर उनके मां से कहा इसके किस्मत में राजयोग लिखा है, आगे चलकर यह देश का प्रधानमंत्री भी बन सकता है, यह सुनकर मां भयभीत हो गई और यह सोचने लगी कि यदि यह प्रधानमंत्री बन जाएगा तो मुझे तो भूल जाएगा। ज्योतिष ने कहा की इस बात की पुष्टि करनी है, तो इस बच्चे की दांत को देखना।
Chanakya Aur Dainik Jivan Main Saflata In Hindi दांत में इसके नागराज के चिन्ह होगा। उसे पुष्टि करने के लिए मां ने इस बालक के दांत को देखा तो नागराज का चिन्ह था। तो मां रोने लगी और कहने लगी कि यदि मेरा बच्चा आगे चलकर यदि प्रधानमंत्री बन जाएगा तो मुझे भूल जाएगा।
Chanakya Aur Dainik Jivan Main Saflata In Hindi इतना सुनते ही चाणक्य ने पत्थर उठाया और अपना दांत तोड़ लिया और बोला की मां कि तेरे चलते हैं मैं ऐसे हजारों राज योग और प्रधानमंत्री का पद त्याग दूंगा। इससे पता चलता है, की चाणक्य को कभी सत्ता का लोभ नहीं था। इसलिए उन्होंने चंद्रगुप्त को प्रशिक्षित किया। और अखंड भारत को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य किया।
Chanakya Aur Dainik Jivan Main Saflata In Hindi
चंद्रगुप्त मौर्य का आचार्य चाणक्य से।
उस समय मगध सबसे बड़ा साम्राज्य था। और नंदा साम्राज्य का राजा घनानंद था। आचार्य चाणक्य घनानंद को समझाने की कोशिश की हम सब मिलकर एक अखंड भारत का निर्माण करे और बाहरी आक्रमण को राज्य में अतिक्रमण करने नही दिया जाए। क्योंकि इस समय सिकंदर भारत पर आक्रमण के फिराक में था।
उस समय घनानंद राज्य से अनावश्यक कर लेता था और उसे जुए, सट्टे, और परस्त्री गमन में खर्च करता था। तो घनानंद ने चाणक्य को उस भरी सभा में अपमानित किया था। इसके बाद चाणक्य ने दृढ़ संकल्प लिया, की मैं घनानंद का समूल नाश कर दूंगा।
आचार्य चाणक्य ने घनानंद और उसके नंदवंश को समाप्त करने की प्रतिज्ञा की थी।आचार्य ने कहा था की जब तक मैं नंदो का नाश नही कर दूंगा तबतक अपनी सिखा नही बढूंगा। फिर चंद्रगुप्त ने चाणक्य से मिलकर मलेक्ष राजा पर्वतक की सेना लेकर पाटलिपुत्र पर चढ़ाई की ओर नंदो को युद्ध में परास्त कर मार डाला।
चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर को भगाया।
आचार्य चाणक्य ने एक छोटे से बच्चे को प्रशिक्षित कर अपने विद्वता, कूटनीति, और दृढ़ संकल्प के कारण सिकंदर को पराजित किया। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को सिकंदर की सेना में शामिल किया और सिकंदर के सेना को अंदर से खोखला कर दिया। उनके सेना के अंदर विद्रोह करा दिया। सिकंदर ज्यादा समय तक रुक नहीं पाया। और भारत में प्रवेश करने से पहले ही उन्हें मौर्य ने भागा दिया। चंद्रगुप्त के सिंहासन संभालने से पहले , सिकंदर ने उतरी पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण किया था।
आचार्य चाणक्य की सात युद्ध रणनीति
- परिधि पर हमला करना;
चंद्रगुप्त मौर्य और आचार्य चाणक्य का सिकंदर को हारने के बाद आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था। उन्होंने अब मगध के सम्राट घनानंद का किला फतह करने को को ठान लिया था। उनका सेना बहुत छोटा था। उन्होंने 5 हजार के सेना और हाथी घोड़ा लेकर मगध साम्राज्य पर हमला कर दिया। लेकिन आधे दिन के अंदर ही मगध के सेना ने उनको परास्त कर दिया। किसी तरह चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने अपनी जान बचाकर भागे। फिर चाणक्य ने रणनीति अपनाई। और धनानंद के राज्यों पर जहां उनकी कमजोर पकड़ थी। वहीं से चंद्रगुप्त मौर्य ने हमला करना शुरू किया।
- विषकन्या की सेना
Chanakya Aur Dainik Jivan Main Saflata In Hindi आचार्य चाणक्य ने सुंदर सुंदर महिलाओं की एक सेना तैयार की और उनको उनको थोड़ा थोड़ा विष्ट दिया करते थे जिसके माध्यम से वह कन्या राजाओं के पास जाकर उसको चुम्बन के माध्यम से विष देकर मार दिया करती थी।
- जासूसों की सेना
अब आचार्य चाणक्य ने जासूसों की एक फौज बनाया। और उनको प्रशिक्षित करना शुरू किया। ये जासूस साम्राज्य के अंदर की सारी खबर लाके चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य को लाकर देते थे। और कभी कभी चाणक्य ने जासूसों की भी जासूसी करा देते थे। चाणक्य कहते थे कि शत्रु के खिलाफ कभी भी गुस्से में नहीं सोचना चाहिए यदि गुस्सा आ गया तो सेना की सोचने की शक्ति खत्म हो जाएगी।
- एक उच्च प्रदर्शन की टीम बनाना
चाणक्य ने घनानंद को हराने के लिए एक टीम बनाई। जिसमें चाणक्य ने साधु का वेश धर लिया और लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा देने लगे और कहने लगे कि चंद्रगुप्त मौर्य की सेना को ज्वाइन करो। जिसके कारण बहुत सारे लोग चंद्रगुप्त की सेना में आ गए। इसी तरह करते करते 8 लाख लोगो की सेना बना ली।
- योग्यता के आधार पर बहाली।
चंद्रगुप्त के सेना में शामिल सभी सेना को योग्यता के आधार पर बहाली करते थे नहीं की आज के समय के अनुसार आरक्षण के आधार पर। इसी कारण चाणक्य ने घनानंद के नंदा डायनेस्टी को परास्त किया।
- छापामार युद्ध
इस रणनीति के तहत आचार्य चाणक्य ने सभी सेना के साथ बहुत सारे युद्धाभ्यास किया। यह युद्धाभ्यास छोटा- छोटा और उच्च ऊर्जा के साथ करते थे। ताकि युद्ध के समय कोई गलती नही हो। चंद्रगुप्त की सेना घनानंद की सेना से बहुत बड़ी हो गई थी। और इन सेना को अनुशासित करने के लिए बहुत सारे युद्ध अभ्यास कराएं गए। ताकि युद्ध के समय कोई चूक न हो।
- अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन
इस रणनीति के तहत उन्होंने विभिन्न रियासतों के राजा को इकट्ठा किया। और उनके साथ युद्ध में आने के लिए संधि की। इसमें से एक राजा कश्मीरी राजा परवर्तक को शामिल किया। और बाहर से कई यूनानी राजा को अपने साथ लिया। सभी रणनीति को साथ मिलाकर चलते चले गए और पूरी नंदा साम्राज्य को तहस-नहस कर दिया।
निष्कर्ष;
आचार्य चाणक्य एक कुशल ब्राह्मण रणनीति कार कुशल कुशाग्र बुद्धि के मालिक थे। उन्होंने अखंड भारत को एक साथ जोड़ने की कवायद हमेशा करते थे। और उन्होंने अपनी अटल प्रतिज्ञा, और कुशाग्र बुद्धि के कारण अखंड भारत को मौर्य साम्राज्य के माध्यम से जोड़ने का कार्य किया।
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