Geetanjali By Ravindrnath Tagor In Hindi PDF Free Download

Geetanjali By Ravindrnath Tagor In Hindi PDF कई सारे विषयों की विविधता और बहुतायत गीतांजलि को लगभग पिछले एक सदी से भी अधिक समय से आकर्षण की धुरी बनाए हुई है। इसकी आध्यात्मिक यात्रा ईश्वर की अनंतता के परम सत्य से शुरू होती है।

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लेखक : रवीन्द्रनाथ टैगोर

पुस्तक की भाषा : हिंदी 

पेज : 177

रविंद्र नाथ टैगोर :एक व्यक्तित्व

रवींद्रनाथ टैगोर बांग्ला साहित्य के साथ-साथ अंग्रेजी साहित्य के भी एक अमूर्त विरासत है। वे लेखक, विचारक, नाटककार,संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक, चित्रकार है। इन्होंने लगभग सभी विधाओं में करीब-करीब सभी विषयों पर रचनाएं की,जो मुख्यतः प्रेम ,आत्म शुद्धि ,वैराग्य,शांति,मानवता ,रहस्य ,सादगी ,मासूमियत, ईश्वर के प्रति समर्पण जैसे विषयों पर केंद्रित हैं।

यह पहले गैर यूरोपियन थे, जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध नोबेल अवार्ड मिला। इन्हें 1913 में गीतांजलि:सांग ऑफरिंग्स  नामक अंग्रेजी पुस्तक के लिए यह पुरस्कार मिला। यह भक्ति प्रधान पद्य काव्य है,जो 103 गीतों का संकलन है। जिसमें से 53 गीत मूल बांग्ला गीतांजलि से तथा 50 गीत इनकी पूर्व की रचनाओं से संकलित हुई है जो गीतांजलि के ही समान विषय वस्तु रखती है।

इनकी रचनाओं के दो प्रमुख गीत जन गण मन और अमर सोनार बांग्ला  क्रमशः भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में जाने जाते हैं।

ये रॉयल एशियाटिक सोसायटी से भी जुड़े थे।इन्होंने बंगाली पुनर्जागरण और प्रासंगिक आधुनिकतावाद जैसे विषयों का भरपूर समर्थन किया तथा उनका प्रचार किया।

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इनकी अन्य रचनाएं हैं,

गीतांजलि, गोरा , कल्पना, स्मरण ,नैवेद्य ,खेया,चैताल आदि।

विश्व भारती विश्वविद्यालय और शांति निकेतन उनके उल्लेखनीय कार्यो में से एक है।

रविंद्र संगीत

रविंद्र नाथ टैगोर ने लगभग 2200 से अधिक गीतों की रचना की।जो मुख्यतः हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत व ध्रुपद शैली से प्रभावित हैं। रबींद्र संगीत बांग्ला साहित्य का अभिन्न अंग है। रविंद्र नाथ टैगोर के संगीत को उनके साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता।

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गीतांजलि: परिचय

गीतांजलि मुख्यता बांग्ला में रचित गेयात्मक कविताओं का संकलन है ।गीतांजलि गीत और अंजलि शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है गीतों का उपहार या भेंट।

1910 में प्रकाशित गीतांजलि मे 157 गीतों का संकलन है। जिसमें से 125 अप्रकाशित तथा 32 पूर्व की प्रकाशित रचनाओं से संकलित की गई हैं।जिसमें से 15 नैवैद्य ,11 खेया,तीन शिशु, तथा चैताल, कल्पना और स्मरण से 1-1 रचनाएं ली गई हैं।

इनके प्रकाशन से पहले रविंद्र नाथ टैगोर खुद कहते हैं कि,

इसके विज्ञापन (प्राक्कथन) में इसमें संकलित गीतों के संबंध में स्वयं रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिखा था :

“इस ग्रंथ में संकलित आरंभिक कुछेक गीत (गान) दो-एक अन्य कृतियों में प्रकाशित हो चुके हैं। लेकिन थोड़े समय के अंतराल के बाद जो गान रचित हुए, उनमें परस्पर भाव-ऐक्य को ध्यान में रखकर, उन सबको इस पुस्तक में एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है।”

विषय वस्तु

रविंद्र नाथ टैगोर सूफी रहस्यवाद और वैष्णव का विषय प्रभावित थे।यद्यपि इससे प्रभावित होने के बावजूद उनकी रचनाओं में समर्पण की भावना है। गीतांजलि में विषयों की विविधता को कायम रखा गया है। इसमें प्रमुख विषयों पर प्रकाश डाला गया है जैसी की प्रेम, समर्पण, आत्मविश्वास, आत्म विनाश, विनम्रता,वैराग्य,मानवता,मासूमियत ,सादगी ,संजीदगी ,आत्म शुद्धि, भक्ति, दान संरक्षण इत्यादि।

गीतांजलि में जन मन गण के माध्यम से रविंद्र नाथ टैगोर ने भारत माता की प्रार्थना की है जो आज हमारे देश का राष्ट्रगान है।

कुछ गीत

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे

फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे

ओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे

यदि कोई भी ना बोले ओरे

ओ रे ओ अभागे कोई भी ना बोले

यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे

तब डरे बिना ओ तू मुक्त कंठ

अपनी बात बोल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे

यदि लौट सब चले ओ रे ओ रे ओ अभागे लौट सब चले

यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे

तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल चल अकेला रे

तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला ।

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