कॉर्पोरेट चाणक्य – हिंदी PDF | Corporate Chanakya By Radhakrishnan Palli in Hindi PDF Free Download कॉर्पोरेट चाणक्य हिंदी PDF Free Download कॉर्पोरेट चाणक्य आचार्य चाणक्य की पुस्तक अर्थशास्त्र से चाणक्य नीति से सफल प्रबंधन के सूत्र
कॉर्पोरेट चाणक्य पुस्तक राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखी गई है, यह पुस्तक आचार्य चाणक्य के प्रसिद्ध पुस्तक अर्थशास्त्र पर आधारित है। इस पुस्तक में 309 पेज है, जिसके प्रकाशक जयको पब्लिशिंग हाउस है। इस पुस्तक में आप अर्थशास्त्र जो चाणक्य द्वारा लिखित चाणक्य नीति से सफल प्रबंधन के सूत्र बहुत कम शब्दो में सीखेंगे।
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इस लेख में आप पढ़ेंगे
इस पुस्तक को लेखक राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा तीन भागों में विभक्त किया गया है;
- पहला भाग में नेतृत्व के बारे में बताया गया है।
- दूसरे भाग में प्रबंधन के बारे में बताया गया है।
- तीसरे भाग में प्रशिक्षण के बारे में बताया गया है।
इसके बाद आगे पुस्तक में कॉर्पोरेट जगत में ताकत की चर्चा की गई है, व्यवसाय के साथ स्तंभ के बारे में बताया गया है। व्यवसाय में अर्थशास्त्र का उपयोग ? आचार्य द्वारा उद्यमियों की सलाह के बारे में वर्णन किया गया है।
कौन थे आचार्य चाणक्य ?
आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वे चाणक्य कहलाए। कौटिल्य ने विश्वविख्यात अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ लिखा था। यह ग्रंथ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाज नीति आदि का महान ग्रंथ है। अर्थशास्त्र ग्रंथ को मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। शताब्दियों से विद्वानों ने आचार्य चाणक्य को एक ऐसे दुर्लभ बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है, जिन्होंने विविध और विशिष्ट क्षेत्रों जैसे प्रबंधन, अर्थशास्त्र, राजनीति, विधि, नेतृत्व, शासन, युद्ध स्थिति, सैन्य चतुराई, लेखा विधि और अन्य कई क्षेत्रों में निपुणता हासिल की। चाणक्य ने 6000 सूत्रों को स्वयं ही पांच पुस्तको 150 अध्यायो और 180 शीर्षकों में वर्गीकृत किया है।
एक समय मगध सबसे बड़ा साम्राज्य था। नंदा साम्राज्य का राजा घनानंद था। घनानंद ने एक समय चाणक्य को भरी सभा में अपमानित किया था। इसके तत्पश्चात चाणक्य ने घनानंद और उसके नंद वंश को समाप्त करने की प्रतिज्ञा की थी। चाणक्य ने मलेक्ष राजा परवर्तक कि सेना लेकर पाटलिपुत्र पर चढ़ाई की। और नंदो को युद्ध में परास्त कर मार डाला।
कॉर्पोरेट जगत में चाणक्य के सफल सूत्र
व्यवसाय के सात स्तंभ
आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी पुस्तक “अर्थशास्त्र” भारत की ही देन है। इस पुस्तक को पढ़ने से हमें एक शक्तिशाली संगठन के निर्माण में सहायक कारको का पता चलता है।
Corporate world में आज भी वही आगे हैं, जिनके पास ज्ञान, जनशक्ति, वित्तीय शक्ति और उत्साह मनोबल की शक्ति है।
राधाकृष्णन पिल्लई आचार्य चाणक्य और शासकीय नीति के सफल प्रबंधन का जिक्र करते हुए कहते हैं, कि व्यवसाय के सात स्तंभ होते हैं, मजबूत नीव ही सफलता की कुंजी है। आपकी दूरदर्शिता, आप की प्रतिबद्धता, आपकी उद्देश्य ये सभी किसी भी संगठन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तंभों का निर्माण करते हैं।
राजा, मंत्री, राष्ट्र, किलाबंद नगर, राजकोष, सेना और मित्र किसी भी राज्य के संघटक तत्व होते है।
व्यवसाय में अर्थशास्त्र का उपयोग
आचार्य चाणक्य ने व्यवसाय ने आसपास के उपयोग एवं लाभों का वर्णन किया है।
” यह शास्त्र (अर्थशास्त्र) व्यक्तियों में आध्यात्मिक हित, भौतिक कल्याण और आनंद की उत्पत्ति करता है। साथ ही आध्यात्मिक बुराइयों भौतिक हानि और घृणा का विनिस्ट करता है।
आचार्य आगे कहते हैं, यदि कोई व्यक्ति कोई भी चीज हासिल की है, तो उसे उस वस्तु की रक्षा करनी चाहिए। यदि आप लाख रुपए कमाते हैं, तो इसे सुरक्षित रखना चाहिए। इसके साथ हमें इस यह प्रयास करना चाहिए कि यह लाख रुपए किस प्रकार करोड़ रुपए बन जाए। यहीं से निवेश की योजना की शुरुआत होती हैं।
आचार्य चाणक्य को उद्यमियों को सलाह
आचार्य चाणक्य कहते हैं, कि किसी उद्यमी के जीवन का सबसे मुश्किल समय वह होता है, जब वह अपने विचार के थोड़े प्रयोग में ही काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है, फिर भी उसे आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता ऐसे में उसके सभी करीबी लोगों से यह बताने के लिए तत्पर हो जाते हैं, कि उसने कोई गलत राह चुन ली है।
कौटिल्य का कथन है कि ऐसे में धैर्य से काम लेना चाहिए मानसिक रूप से जड़ता की स्थिति को प्राप्त नहीं करना चाहिए।
“ धन मूर्ख व्यक्ति के पास नहीं टिकता जो निरंतर सितारों का सहारा लेते हैं, क्योंकि धन ही धन का सितारा होता है, योग्य व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होगी चाहे भले ही सैकड़ों परीक्षाओं के बाद ही सही”
व्यवसाय में निरंतर पदोन्नति के लिए आचार्य चाणक्य निम्नलिखित नीति का उल्लेख करते है;
- योग्य प्रबंधकों का चयन
- पद का निर्धारण
- कर्मचारियों का ध्यान रखना
- वेतन से अधिक सुरक्षा पर जोर
- पदोन्नति देना।
- गुणवत्ता नियंत्रण
- सही व्यक्ति का चयन
- शुद्ध लाभ महत्वपूर्ण है
- संकट में राजकोष की देखरेख
- मजदूरी
- बजट बनाना
- समय पर कर (Tax) भुगतान
चाणक्य नीति से सफल प्रबंधन के लिए आचार्य प्रशिक्षण पर अधिक जोड़ देते है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं, कि व्यवसाय 3 पुश्त से अधिक नहीं टिक पाते हैं, शिखर पर पहुंचना आसान है, परंतु वर्चस्व बनाए रखना सबसे कठिन कार्य है।
बच्चे को प्रशिक्षित करना
किसी भी सफल व्यवसाई की सबसे बड़ी चुनौती होती है मृत्यु के बाद अपनी धन-संपत्ति की सही देखरेख सुनिश्चित करना।
कौटिल्य की सलाह है;
” कीड़े लगे खोखले लकड़ी के समान ही अनुशासनहीन उत्तराधिकारी वाले शाही परिवार आक्रमण के समय टूट कर बिखर जाएंगे”
अतः प्रत्येक सफल व्यक्ति के लिए अपने बच्चों को अनुशासन बनाए रखना अत्यावश्यक है, एक निश्चित सीमा तक उन्हें नियंत्रण में रखना और उन्हें दिशा निर्देश देना जरूरी है। ऐसा न करने पर वह लकड़ी के उस टुकड़े के समान हो जाएंगे जो कीड़े और दीमक द्वारा खा जाने के कारण ऊपर से भले ही मजबूत दिखता है, परंतु अंदर से खोखला हो जाता है, जैसे ही उस पर हल्का सा दबाव पड़ता है वह तुरंत टूट जाता है।
कॉर्पोरेट चाणक्य पुस्तक की समीक्षा
इस पुस्तक से आप जितना ज्यादा ज्ञान निकलेंगे उतना ज्यादा यह प्रासंगिक होगी। राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखित यह पुस्तक असली अर्थशास्त्र का निचोड़ है, आप बहुत कम समय में आप इस पुस्तक को पढ़कर व्यवहार में ला सकते हैं। प्रबंधन से लेकर अध्यात्म को यह पुस्तक एक कड़ी में जोड़ता है। इस पुस्तक को मेरी इस लेख के तरफ से 10 में से 10 सितारा देता हूं। यह पुस्तक आपको जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लायेगी।
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