Samrat Ashok hindi pdf By Lala Lajpatray Free Download

Samrat Ashok hindi pdf वैसे तो यशस्वी सम्राट अशोक के जीवन पर कई सारी पुस्तके लिखी गई ।फिर भी हर बार कुछ न कुछ छूट ही जाता है । इसी क्रम में ये पुस्तक भी है ।

सम्राट अशोक )वस्तुत: इस पुस्तक को लाला लाज पतराय ने लिखी । लाला लाज पतराय ,जो एक महान क्रांतिकारी, उत्कृष्ट विचारक, चिन्तक,कुशल वक्ता ,और एक अच्छे लेखक भी है ,को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है।

ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन प्रमुख गरम दल के नेताओं में से एक थे ।इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की भी स्थापना की।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में ये काफी सक्रिय रहे।

Samrat Ashok hindi pdf
पुस्तक : सम्राट अशोक

लेखक : लाला लाजपतराय

पुस्तक की भाषा : हिंदी

पेज : 272

Samrat Ashok hindi pdf सारांश

इसमें मुख्यत: सम्राट अशोक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समाज के सामने लाने का प्रयास किया गया है।

इसकी शुरुवात नंद वंश,सिकंदर, राजा पुरु,चाणक्य और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की समकालीन घटनाओं से किया गया है।

इसकी घटनाएं करीब 350 ई पू से वर्णित हुई है।

इसमे उस समय के तत्कालीन परिस्थितियों,राजनैतिक,आर्थिक,सामायिक समाज,वर्ण व्यवस्था,धर्म कर्म,कृषि,उद्योग इत्यादि के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है।

चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य साम्राज्य

Samrat Ashok hindi pdf सिकंदर ने विश्व विजय अभियान की महत्वाकांक्षा से अफगानिस्तान , फारस, तुर्की काबुल को जीतते हुए भारत की पश्चिमी दिशा तक सिंधु नदी तक आ पहुंचा। सिंधु नदी के आस पास का क्षेत्र मुख्यत:राजा पुरु के आधीन था।सिकंदर की सेना और राजा पुरु की सेनाओं के बीच काफी भीषण नरसंहार हुआ।और अंत में राजा पुरु को बंदी बना लिया और उसे सिकंदर के सामने उपस्थित किया गया।तब सिकंदर उससे पूछता है की बताओ तुम्हारे साथ क्या किया जाए ? तब राजा पुरु कहते है की तुम मेरे साथ वही करो जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है।ऐसी बात सुनकर सिकंदर काफी प्रसन्न हुआ और उसने राजा पुरु को उसका राज्य वापस कर दिया ।

इसके बाद सिकंदर वापस लौट गया।और उसने अपने जीते हुए कुछ राज्यों को राजा पुरु को दे दिया ।वापस जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई ।उसके मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य का उसके उत्तराधिकारियों मे विभाजन हो गया है ।

 Samrat Ashok hindi pdf उसकी मृत्यु के कुछ समय पश्चात मगध(वर्तमान बिहार,पूर्वी उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल ) में महापद्मनंद ने नंद वंश की स्थापना की। जो निम्न जाति का था ।उसके राजा बनने से उच्च वर्गीय कुल में काफी विद्रोह हो गया ।उसके बाद घनानंद नंद वंश के सिंहासन पर आरूढ़ हुआ। वह बहुत ही विलासी प्रवत्ति का था वह हमेशा स्त्रियों और दासियों के बीच रहता था और मदिरा का पान और राजसी भोग विलास में संलिप्त रहता था। उसी दौरान चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य नामक एक व्यक्ति के साथ छोटी छोटी सेनाए बनाना आरंभ कर दिया था और साथ ही साथ कई जगहों को अपने कब्जे में ले लिया था ।

एक दिन घनानंद द्वारा आयोजित एक उत्सव के दौरान चंद्रगुप्त धोखे से उसकी हत्या कर देता है ।और मौर्य साम्राज्य की नीव रखता है।

लगभग 326 BC मे चंद्रगुप्त मौर्य राजगद्दी पर बैठा। और अपने राजनीतिक गुरु चाणक्य को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त करता है । चंद्रगुप्त ने धीरे धीरे अपना राज्य का विस्तार किया ।

लगभग 303 B C मे सिकंदर का सेनापति सेल्युकस निकेटर भारत पर पुनः आक्रमण करता है । भीषण युद्ध के पश्चात आखिर में सेल्युकस संधि का प्रस्ताव रखता है जिसे चंद्रगुप्त मौर्य सहर्ष स्वीकार कर लेता है । Samrat Ashok hindi pdf संधि के अनुसार सेल्युकस अपने चार प्रांत मौर्य साम्राज्य में मिला देता है तथा अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त के साथ कर देता है ।बदले में चंद्रगुप्त सेल्युकस को 500 हाथी देता है । सेल्युकस ने मेगस्थानिज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में राजदूत के तौर पर नियुक्त करता है। मेगस्थानिज ने इंडिंका नामक एक पुस्तक लिखी जो उस समय के तत्कालीन परिस्थितियों को चित्रित करती है।

चंद्रगुप्त मौर्य ने अंतिम समय में जैन धर्म स्वीकार कर लिया।और सल्लेखना प्रथा द्वारा देह का परित्याग कर दिया ।

चाणक्य ( विष्णु गुप्त शर्मा) ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक की रचना की जिसमे लोकतंत्र, अर्थशास्त्र, राजनीति,राजधर्म, लोककल्याण इत्यादि विषयों का काफी विस्तृत वर्णन किया गया है।जिससे उस समय के समाज के बारे में हमे काफी जानकारियां प्राप्त होती है।जैसे की उस समय की वर्ण व्यस्थता, कृषि उद्योग ,महिलाओं की स्थिति , शिक्षा व्यवस्था,कर दान चुंगी, राजा का प्रजा के प्रति व्यवहार इत्यादि।

 

बिन्दुसार

चंद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिन्दुसार राजगद्दी पर बैठा ।उसने अपने पिता द्वारा प्रद्दात राज्य का विस्तार किया ।इतिहास में उसके बारे में ज्यादा वर्णन प्राप्त नहीं है ।

अशोक महान

Samrat Ashok hindi pdf ऐसा माना जाता है की अशोक ने राजगद्दी पाने के लिए लगभग अपने 99 भाईयो का कत्ल किया था। अशोक को मौर्य साम्राज्य में सबसे अधिक प्रतापी शासकों में से एक माना जाता है । उसे देवानामप्रिय,प्रियदर्शिनी के नाम से जाना जाता है। उसने उत्तर में कश्मीर पंजाब सिंध तक , पूर्व में असम पश्चिम बंगाल , पश्चिम में सिंध काबुल फारस तुर्की बलूचिस्तान अफगानिस्तान अरब तक , दक्षिण में कर्नाटक तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। मौर्य साम्राज्य का यह स्वर्णिम काल था। उसने कई सारे कुवे नहर तालाब खुदवाए।उसने सड़क के किनारे पेड़ लगवाए, सराय बनवाए, अस्पताल बनवाए, विश्रामालय भी बनवाए। उसने प्रसिद्ध ग्रांट ट्रंक रोड भी बनवाई।

लगभग 261B C  मे उसने कलिंग( आधुनिक उड़ीसा) पर आक्रमण किया। युद्ध के पश्चात की वीभत्सता को देखकर अशोक का मन पसीज गया। उसने कभी भी आजीवन युद्ध न लड़ने की प्रतिज्ञा की।आगे चलकर उसने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया।तथा अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के विस्तार के लिए श्रीलंका भेजा। वह दिन रात प्रजाहित के लिए काम करने लगा। उसने कई सारे धर्मसरायें बनवाई, आयोजन करवाए।

Samrat Ashok hindi pdf उसने कई जगह शिलालेख भी खुदवाए जो आज भी समय समय पर खुदाई में मिल रहें हैं। उसने उन शिलालेखो पर धर्मिकसंदेश खुदवाए। उसने शिलालेख के साथ साथ स्तंभ लेख , गुहा लेख ,लघु शिलालेख भी बनवाये तथा उन पर प्राकृतभाषा की ब्राह्मी व खरोष्टी लिपियों मे संदेश उत्कीर्ण करवाए।

गीतांजलि – हिंदी PDF Free Download

कुछ शिलालेख इस प्रकार है ,

 सांची- मध्य प्रदेश रायसेन

सारनाथ- वाराणसी

रूभ्मिनदेई- नेपाल

कौशाम्बी- इलाहाबाद

निग्लीवा- नेपाल

 ब्रह्मगिरि-  मैसूर

सिद्धपुर- ब्रह्मगिरि

उसने कई सारे स्तूप भी बनवाए ।जैसे की धर्मराजिका स्तूप।

बृहद्थ मौर्य

मौर्य साम्राज्य का अंतिम शासक बृहद्थ मौर्य था ।जिसकी हत्या उसी के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और एक नए वंश शुंग का प्रारम्भ किया।

उपसंहार

देखा जाए तो यह पुस्तक उस समय के समाज के बारे में काफी सारी जानकारियां प्रदान करती है।

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