Garud Puran PDF Hindi Download

Garud Puran PDF Hindi Download गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा | Garud Puran in Hindi PDF download link is available below in the article, download PDF of गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा | Garud Puran in Hindi using the direct link given at the bottom of content.. गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा | Garud Puran PDF Hindi

हमारे हिंदू धर्म में कई तरह के धर्म ग्रंथ हैं, जिसमें वेद,पुराण, भागवत गीता, उपनिषद ,टिकाए आदि हैं। उन्हीं में से गरुण पुराण का एक विशिष्ट स्थान है।

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गरुण पुराण मुख्यप: वैष्णव संप्रदाय से जुड़े लोगो का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है।इसमें श्रीमद्भागवत गीता की तरह भगवान विष्णु के कई अवतारों का समावेश किया गया है। इसमें मुख्यतः भक्ति ,ज्ञान ,वैराग्य, सदाचार ,निष्काम कर्म की महिमा के साथ-साथ यज्ञ,दान, तप, तीर्थ स्थानों आज की महत्व के बारे में वर्णन किया गया है।

इसके साथ ही साथ इसमें मृत जीव के अंतिम समय में किए जाने वाले कर्मों उनके जीवन की दशा और दिशा का वर्णन है।

इसके साथ ही साथ गरुण पुराण में आयुर्वेद और नीतिसार का भी समागम है।

इसमें कर्मकांड की महत्व के साथ-साथ आत्मज्ञान पर भी जोर दिया गया है।

क्या होते हैं पुराण

पुराणों और वेदों के रचयिता भगवान ब्रह्मा को माना जाता है जिन्हें सृष्टि का निर्माणकर्ता कहा जाता है उन्होंने चार वेदों और 18 पुराण की रचना की।

हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसा माना जाता है की शुरुआत में सिर्फ नारद पुराण ही था जिसमें एक करोड़ से भी अधिक श्लोकों का संकलन था फिर काफी समय पश्चात ब्रह्माजी को लगा कि पुराण कि रचना तो संपूर्ण जनमानस को ज्ञान देने के लिए हुआ था मगर यह अपने उद्देश्य में असफल हो रहा है। तब उन्होंने महर्षि वेदव्यास के रूप में आकर अठारह पुराणों व कई अन्य धर्म ग्रंथों की रचना की।

18 पुराणों के नाम

● ब्रह्म पुराण 

● पद्म पुराण

● विष्णु पुराण

● वायु पुराण

● भागवत पुराण

● नारद पुराण

● मार्कंडेय पुराण

● अग्नि पुराण

● भविष्य पुराण

● ब्रह्म वैवर्त पुराण 

● लिंग पुराण

● वाराह पुराण

● स्कंद पुराण

● वामन पुराण

● कूर्म पुराण

● मत्स्य पुराण

● गरुण पुराण

● ब्रह्मांड पुराण

महर्षि वेदव्यास

महर्षि वेदव्यास जिन्हें ब्रह्मा जी का अवतार माना जाता है।उन्होंने 18 पुराण, महाभारत इत्यादि की रचना की। महर्षि वेदव्यास ने अग्नि पुराण के बाद गरुण पुराण की रचना की।ऐसा माना जाता है की एक बार पक्षीराज गरुड़ ,जिन्हें विष्णु के वाहन के रूप में जाना जाता है, ने एक बार भगवान विष्णु से मनुष्य के कर्म धर्म दान प्रेत योनि और जीवन के विभिन्न कर्मों मृत्यु की अवस्था श्राद्ध तर्पण इत्यादि को जानने की इच्छा की।

ऐसा कहा जाता है की भगवान विष्णु ने जीवन की समस्त कर्मलीला, जीवन मरण ,नर्क स्वर्ग की व्यवस्था को लेकर एक वृहद वृत्तांत सुनाया। जिसे पक्षीराज गरुड़ ने अपने पिता कश्यप ऋषि को सुनाई ।ऐसा प्रचलन है कि ब्रह्मा जी ने महर्षि वेदव्यास को यह वृत्तांत प्रदान किया जिसे महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्य महर्षि सूतजी को सुनाया जो आगे चलकर समस्त संसार में पहुची।

संरचना

गरुण पुराण मुख्य दो खंडों में विभाजित है पहला पूर्व खंड और दूसरा उत्तर खंड। इसमें कुल लगभग 19000 श्लोकों का संग्रह है। मगर वर्तमान में लगभग 8000 श्लोक ही उपलब्ध हैं।

पूर्व खंड में लगभग 240 अध्याय हैं।जिसमें मुख्यतः जीव और जीवन से जुड़े विषयों का विस्तार से वर्णन है, जबकि उत्तर खंड में लगभग 35 अध्याय हैं, जिनमें मुख्य तो मृत्यु के पश्चात जीवन की दशा, स्वर्ग नर्क की व्यवस्था, कर्मकांड ,श्राद्ध तर्पण, प्रेत योनि,नरक यात्रा इत्यादि का वर्णन है।

● पूर्व खंड

Garud Puran PDF Hindi Download इसे आचार खंड के नाम से भी जाना जाता है इसमें सबसे पहले पुराण के आरंभ करने के प्रश्न का वर्णन किया गया है इसके बाद इसमें सृष्टि व इसकी रचना का संक्षेप में वर्णन किया गया है।

Garud Puran PDF Hindi Download इसमें श्रीमद्भागवत गीता की तरह भगवान विष्णु के समस्त चौबीसों  अवतारों का क्रमशः जिक्र किया गया है जिनमें मुख्यता 10 हैं जैसे कि वराह अवतार ,वामन अवतार ,मत्स्य अवतार ,कूर्म अवतार, नरसिंह अवतार, श्री कृष्ण अवतार, श्री राम अवतार ,कल्कि ।

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 23 अवतरित हो चुके हैं जो इस तरह से हैं,

1. श्रीसनकादि मुनि

2. वाराह अवतार

3. नारद अवतार

4. नर नारायण अवतार 

5. कपिल मुनि अवतार

6. दत्तात्रेय अवतार 

7. यज्ञ अवतार 

8. भगवान ऋषभदेव 

9. आदिराज पृथु 

10. मत्स्य अवतार

11. कूर्म अवतार 

12. धन्वंतरी अवतार

13. मोहिनी अवतार 

14. नरसिंह अवतार 

15. वामन अवतार 

16. हयग्रीव अवतार 

17. श्री हरि अवतार 

18. भगवान परशुराम अवतार 

19. महर्षि वेदव्यास 

20. हंस अवतार

21. श्री राम अवतार

22. श्री कृष्ण अवतार 

23. बुद्ध अवतार 

24. कल्कि अवतार 

पूर्व खंड में मुख्यता सूर्य पूजा और सूर्य पूजा के मंत्र नियम, शिव अर्चना, योग्य अध्याय, दीक्षा विधि, श्रीधर पूजा, दुर्गा अर्चन, सूरा अर्चन, श्री हरि अवतार कथा, विष्णु कवच, गरुण कवच , त्रैपुर मंत्र, औषधियों के नाम का कीर्तन, गया धाम महत्व, मन्वंतर वर्णन, पितरों का तर्पण ,वर्ण धर्म, द्रव शुद्धि समर्पण ,श्राद्धकर्म, नीति शास्त्र, व्रत कथाएं ,सूर्यवंश ,सोमवंश, स्नान विधि, सपिंडन, नित्यश्राद्ध ,धर्मपाल ,पापों का प्रायश्चित, विष्णु महिमा, गीता सार, ब्रह्म ज्ञान ,वेदांत व सांख्य का सिद्धांत, आत्मानंद,युगधर्म कर्म फल इत्यादि का वर्णन है।

Garud Puran PDF Hindi Download इसके साथ ही साथ इसमें व्याकरण, छंद,रत्न,नीति शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र,आयुर्वेद,ज्योतिष,नूतन रत्न विज्ञान,स्वर ज्ञान इत्यादि का भी संकलन है।

इसमें मुख्यता भगवान विष्णु की भक्ति की विस्तृत विवेचना की गई है।

● उत्तर खंड

इसे मुख्यता प्रेत कल्प या प्रेत खंड भी कहते हैं । इसमें मृत्यु के स्वरूप, मरणासन्न व्यक्ति के दिशा और दशा तथा उनके कल्याण के लिए अंतिम समय में किए जाने वाले कृत्यों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई हैं। इसमें बताया कि है कि आखिर किसी मनुष्य को प्रेत लोक, यमलोक या फिर प्रेत योनि कब, क्यों और कैसे प्राप्त होती है? इसमें प्रेत योनि के कारण, दान महिमा, प्रेत योनि से बचने के उपाय,अनुष्ठान, श्राद्ध ,धार्मिक कार्य, कर्मकांड का जिक्र किया गया है।

इसमें मुख्यता मरणासन्न अवस्था तथा उसके बाद की दशा की विवेचना है। इसमें बताया गया है कि जब हम मरने वाले होते हैं, तब हम कुछ कहना चाहते हैं मगर उस समय हमारे आंख मुख इत्यादि काम नहीं करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अंगूठे के बराबर की आत्मा हमारे शरीर से निकलती है जिसे यमराज अपने साथ ले जाते हैं ।

ऐसा माना जाता है की पृथ्वी से यमलोक तक का रास्ता सबसे कठिन होता है। ऐसा मत प्रचलित है की रास्ते में यमराज आत्मा को स्वर्ग नरक के बारे में बताते हैं तथा उसे उसे कर्मों के अनुसार डराते हैं। ऐसा माना जाता है कि मरने के बाद शरीर त्यागने के बाद आत्मा फिर से पृथ्वी पर अपने परिवार के आसपास वापस आती है। इसीलिए सनातन धर्म में पिंड दान की व्यवस्था की गई है।

सनातन धर्म में पिंड दान सूतक इत्यादि महत्व है। हिंदू धर्म में इसीलिए पुत्र रत्न की महत्व का वर्णन है। क्यूंकि ऐसा माना जाता है की पुत्र ही अपने पितरों की आत्मा को भटकने से शांत कर सकता है। मनुष्य की मृत्यु के 10 दिनों के भीतर पिंड दान कर दिया जाना चाहिए नहीं तो ऐसा माना जाता है की उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है तथा अपने स्वजनों तथा परिवार वालों को कष्ट देती रहती है। इसमें अकाल मृत्यु के कारण इत्यादि का भी वर्णन है।

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इसमें बताया गया है कि जो व्यक्ति बुरा कर्म में संलिप्त रहता है,बुजुर्गों और माता पिता को परेशान करता है,बड़ों की अवज्ञा करता है, धोखा पूर्वक व बलपूर्वक अपने तथा दूसरों के संपत्ति, धन, परिवार, इत्यादि पर अपना अधिकार जताता है, वह निश्चय ही नर्क को प्राप्त करता है ।इसमें मरने के बाद के कर्मकांड और पिंड दान ,श्राद्ध दर्पण पितृपक्ष और दान दक्षिणा त्रयोदशाह ,ब्राह्मण भोज, इत्यादि का वर्णन है। इसमें भूत प्रेत के चक्र को शामिल किया गया है।

नरक यात्रा और प्रेत योनि से बचने का उपाय

Garud Puran PDF Hindi Download ऐसा माना जाता है कि एक आत्मा 8400000 योनियों में जन्म लेती है। मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार योनि प्राप्त करता है उसी तरह 8400000 योनियों,जिन्हें प्रेत कल्प भी कहते हैं ।नरक यात्रा में स्वर्ग नरक वाली व्यवस्था का वर्णन है।

गरुण पुराण में प्रेत योनि से बचने के उपायों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है।इसमें बताया गया है कि कैसे हम श्राद्ध ,दान, दक्षिणा, पिंड दान इत्यादि से प्रेत योनि से छुटकारा पा सकते हैं।इसमें कर्मकांड पर तो जोर दिया ही गया है ,साथ ही साथ इसमें आत्मज्ञान ,आत्म संयम अत्याधिक पर भी बराबर से जोर दिया गया है।

Garud Puran PDF Hindi Download श्राद्ध के लिए पितृ पक्ष उपर्युक्त होता है।जिसमें हम अपने पितरों जिसमें पिता पक्ष के तीन पीढ़ियों तथा माता पक्ष के तीन पीढ़ियों तक के पितरों के लिए तर्पण करते हैं। श्राद्ध करने के लिए हम मुख्यतः गंगा नदी के तट का ज्यादातर उपयोग करते हैं इसमें मुख्यतः गया धाम का वर्णन किया गया है।गया धाम के साथ-साथ प्रयागराज धाम की महिमा का भी वर्णन किया गया है।

श्राद्ध करने के लिए मुख्यतः गरुण पुराण का प्रयोग किया जाता है। मनुष्य की मृत्यु के पश्चात गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है यह सनातन धर्म की परंपरा है।

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