Halala In By Bhagwan Daash Hindi PDF Free Download

Halala In By Bhagwan Daash Hindi PDF Free Download हलाला” लेखक भगवानदास मोरवाल द्वारा लिखा गया है, लेखक इस पुस्तक के माध्यम से मुस्लिम समाज में हो रहे स्त्री शोषण की व्यथा को बड़े ही व्यंगात्मक ढंग से चरित्र चित्रण किया है। इस पुस्तक को पढ़ते समय पाठक स्वत: ही पन्ने पलटते चले जायेंगे। इसकी भाषा मेवात जो की हरियाणा के मेवात जिले की है, हलाला शीर्षक के साथ काफी मेल खा रही है।  यह पुस्तक काफी समय तक बेस्टसेलर रही है।

ऐसा माना जाता है, की मुस्लिम लोग ही अपने जाति के रीति रिवाज, सामाजिक बंधन, कुरीतिया तथा अपने लोगो को जान पाते है, या फिर हिंदू समाज अपने समाज को जान पाते है, लेकिन यहां लेखक भगवानदास मोरवाल हिंदू होने के बावजूद मुस्लिम समाज को बड़ी बारीकी से “हलाला” पुस्तक के माध्यम से दर्शाया है।

Halala In By Bhagwan Daash Hindi PDF Free Download
Halala In By Bhagwan Daash Hindi PDF Free Download

“हलाला क्या है?

“हलाला” वह प्रथा है, या दूसरे शब्दो में महिलाओं के लिए अभिशाप है, जिसमे कोई तलाक़शुदा महिला अपने पहले पति के पास दोबारा तब जा सकती है, जब उसका किसी दूसरे पुरुष से निकाह हो और वह पुरुष हमबिस्तर होने के बाद उसे तलाक दे। यह प्रथा मर्दों को सजा या सबक सिखाने के लिए बनाई गई कानून है, पर इसके माध्यम से स्त्री को भोगने की वस्तु बना दिया है।

इस पुस्तक में ‘ डमरू’और  ‘ नजराना’ मुख्य किरदार के रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा डमरू की भाई जमाल खा , कमाल खा और नवाब है। इनकी बेगम नसीबन , फातिमा और आमना है।

कहानी की मुख्य बाते

यह कहानी शुरू होती है, पात्र डमरू से। चार भाइयों में सबसे छोटा है, “डमरू”.  डमरू अभी अविवाहित है, और इनकी भाभी फातिमा और आमना इनकी विवाह नहीं होने देना चाहती है, क्योंकि यदि इनकी विवाह हो जाएगी तो जमीन जायदाद में हिस्सा डमरू को देना पड़ेगा। इसलिए दोनो भाभियां इन्हे जमात पर भेजना चाहती है, ताकि इनका मन भगवान में लग जाए। और डमरू घर की जमीन जायदाद भूल जाए। काले रंग होने के कारण उसे कालसंडा कहकर जाती है, घर में उसकी ज्यादा कद्र नहीं होती है।

दूसरी तरफ अन्य किरदार शौहर नियाज़ अपनी बीवी नजराना से अनबन हो जाता है, और बात तलाक तक आ जाती है, हालाकि नजराना में कोई गलती नही थी समाज के सभी लोग नजराना की तारीफ करते है। नजराना के तीन बच्चे थे कभी भी अपने शौहर से उच्चे आवाज में बात नही करती थी। उस नेक औरत जिसके लिए शौहर को राजी और खुश रखना सबसे बड़ी इबादत है। टटलू सेठ बिचले लड़के नियाज़ ने ऐसी ही नेक और भली औरत को एक झटके से किसी पुराने दरखत की तरह उसकी जड़ों से उखाड़ फेक दिया।

शौहर नियाज़ द्वारा बिना किसी जायज वजह से तलाक दी गई नेक महिला नजराना को उसके सासुरलवाले दोबारा बहु बनाकर अपने घर लाना चाहते थे। “डमरू”  भी शादी नहीं करना चाहता था। लेकिन उसकी भावजा नसीबान को की हमेशा उसकी पक्ष लेती थी “डमरू” डमरु को किसी भी तरह समझा बुझा कर तैयार करती है। लेकिन नजराना को वापस अपने ससुराल जाने के लिए “डमरू” से शादी करना पड़ेगा। और शरिया कानून की शर्त पूरी करना पड़ेगा जिसे “हलाला” कहते है। इस शर्त को पूरी करने के लिए उसकी शादी पड़ोस में रहने वाले “डमरू” से कर दी जाती है। कई बार पंचायत बैठती है, जिसमे “डमरू” की भी सहमति होती है, विवाह करने के लिए। लेकिन कोई उचित निर्णय नहीं निकल पाता है। क्योंकि शरीयत का कानून की शर्त नहीं मानने के चलते निकाह नहीं हो पाता है। निकाह होने के लिए “डमरू” और नजराना को हमबिस्तर होना पड़ेगा। इसलिए डमरू इनकार कर देता है। अब हमबिस्तर की बात डमरू को पाले नही पड़ता है, और वह धर्मसंकट में पड़ जाता है।

नमक का दरोगा – मुंशी प्रेमचंद की कहानी PDF Download

“डमरू” को सोचने का एक और मौका दिया जाता है। अपने बच्चो के पास पहुंचने के लिए नजराना किसी तरह तैयार हो जाती वापस शौहर के पास जाने के लिए। पर भोला भाला “डमरू” को हमबिस्तर होने की बात के लिए तैयार नहीं होता है। लेकिन पंच की बात को वह इंकार नहीं कर पाता है।

जब हलाला की शर्त पूरी होने की बात पूरी गांव में फैल जाती है, और उसकी सास के पास पहुंचती है, तो नजराना की सास उसे घर वापस लाने की बात से इंकार कर देती है। क्योंकि सास को “डमरू” के साथ हमबिस्तर होना पसंद नही था। लेकिन नजराना का शौहर नियाज़ उसे घर लाना चाहता हैं।

पंचों के सामने “डमरू” हलाल की शर्त पूरी करने की बात पूरी करते हुए तलाक देने ही वाला होता है, की नजराना सबको शर्त पूरी ना होने की बात बता देती है. साथ ही वह आगे “डमरू” के साथ जीवन व्यतीत करना चाहती है।

Halala In By Bhagwan Daash Hindi PDF Free Download निष्कर्ष

यह पुस्तक कई मामले में खास है, यह पुरुषवादी सोच के ऊपर एक तमाचा है। औरत के साथ ज्यादती और धर्म के नाम पर शोषण किसी भी समाज के लिए ज्यादती है, चाहे वह कोई भी धर्म हो। इस पुस्तक की परिवेश हरयाणवी है, इसलिए इस पुस्तक में गाली गलौज तनिक अधिक है। यह पुस्तक हरियाणा के मेवात जिले से संबंधित है, इसलिए वहां के स्थानीय भाषा मेवात में लिखा गया है, जो की इस शीर्षक के लिए काफी मेल खा रही है।

PDF डाउनलोड करने के लिए क्लिक यहाँ करे