श्रीमद्भागवत गीता,पृष्ठभूमि,18 पर्व या अध्याय
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि।। “ उपर्युक्त पंक्ति जो की श्रीमद् भगवत गीता से ली गई है जिसमे श्री कृष्ण अर्जुन से बताते है की हे पार्थ ; ” इंसान को केवल कर्म का ही अधिकार है, उसके फल के बारे में चिंता करने का नहीं। इसलिए तुम कर्मों के फल की … Read more